लखनऊ। बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड सेल्युलर थेरेपी के सलाहकार और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, आन्कोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गौरव खरिया ने कॉन्फ्रेन्स को संबोधित करते हुए कहा, थैलेसीमिया मेजर काफी जोखिम भरी बीमारी है जिसे रोका भी जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता होना बहुत जरूरी है।

देश में सालाना थैलेसीमिया मेजर ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह न सिर्फ मनोवैज्ञानिक बल्कि रोगी और उसके परिवार पर वित्तीय बोझ भी बनता है।
इस सम्मेलन का उद्देश्य थैलेसीमिया मेजर के इलाज के रूप में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में जागरूकता लाने और बीमारी को लेकर लोगों की चिंता दूर करना है। वहीं अपोलो अस्पताल के बाल चिकित्सा आॅन्कोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अमिता महाजन ने कहा, जब हम थैलेसीमिया के बारे में चर्चा करते हैं, तो हम जानते हैं कि लोग इसे लेकर न केवल बहुत भयभीत हैं, बल्कि इसके इलाज के बारे में कई गलत धारणाएं भी हैं। यह स्थिति तब है जब चिकित्सा क्षेत्र लगातार थैलेसीमिया प्रबंधन में काफी प्रगति देख रहा है। इन मिथक और गलत धारणाओं की वजह से मरीज के जीवन की गुणवत्ता को काफी नुकसान होता है। कार्यक्रम में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के प्रबंध निदेशक पी शिवकुमार, निदेशक चिकित्सा सेवा डॉ शांति बंसल ने थैलेसीमिया के उपचार को बढ़ावा देने के लिए लक्षण, उपचार के तौर-तरीकों और नैदानिक परीक्षणों पर चर्चा की।
sudha jaiswal