लखनऊ। बंथरा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार देर शाम शुरू हुई भागवत कथा में आचार्य विष्णु कांत शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण द्वारिकाधीश के रुकमणी मंगल विवाह महोत्सव से कथा की शुरूआत की। जिसका सभी श्रद्धालु भक्तों ने भरपूर आनंद लिया। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने सोलह हजार एक सौ विवाह करके सभी भक्तों को भागवत तत्व का दर्शन लाभ कराया। उन्होंने कहा कि मानव मात्र एक गृहस्थ परिवार को चलाने में पूर्ण सक्षम नहीं है, लेकिन ठाकुर जी ने एक साथ सोलह हजार एक सौ विवाह करने के बाद भी संपूर्ण परिवार के साथ लीलाएं करते हुए भागवत भक्ति का आनंद दिलाया।

राजा भृगु की कथा श्रवण कराने के साथ ही व्यास जी ने उपदेश देकर कहा कि दिए हुए वचनों से पीछे नहीं हटना चाहिए। नहीं तो जो दशा राजा भृगु की हुई और उन्हें अगले जन्म में गिरगिट बनना पड़ा। यही हाल मानव मात्र का भी होगा। कथा विश्राम से पहले उन्होंने सुंदर सुदामा चरित्र का गायन करके मित्र भक्त कृष्ण और सुदामा की मित्रता का उदाहरण दिया। उन्होंने व्यास पीठ की सुंदर पूजा करते हुए रुकमणी और कृष्ण के विवाह की झांकी प्रस्तुत की। कथा के अन्त में उन्होंने दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं का वर्णन किया।

कहा कि जिस प्रकार दत्तात्रेय जी ने 24 शिक्षा गुरु बनाए, उसी प्रकार मानव मात्र को जहां से जो कुछ सीखने के लिए मिलता है उसे वह सीख लेना चाहिए। देर रात कथा समापन के बाद रोज चलने वाले भंडारे में भक्तों ने पूडी सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।
sudha jaiswal