एन्टीबायोटिक का इस्तेमाल बिना डॉक्टर के परामर्श से न करें

लखनऊ । इस समय फ्लू से मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारी एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से हो रही है। इसको लेकर लोगों में बड़ी दुविधा है। कोई इसे कोरोना से जोड़ रहा है तो कोई इसे सामान्य खांसी, जुकाम समझ रहा है। गुरुवार को इसी दुविधा को दूर करने का प्रयास किया है केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने उनका कहना है कि इस समय लोगों में तेज बुखार, खांसी एवं गले में खरास के लक्षण पाये जा रहे हैं तथा कभी-कभी उल्टी व दस्त भी हो रहे हैं। सामान्यत: दवाओं का इन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा है। मरीज परेशान हैं कि उनकी खांसी, जुकाम ठीक क्यों नही हो रही है। वैसे तो यह समस्या हर उम्र के लोगों में है किन्तु 15 वर्ष या इससे कम आयु के बच्चों एवं किशोरों तथा 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों व बुजुर्गों को यह समस्या ज्यादा हो रही है।

ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है या वह किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो ऐसे लोगों को भी एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस ज्यादा प्रभावित कर रहा है। फ्लू के अन्य वायरस की तुलना में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस की संक्रामकता एवं लक्षणों की तीव्रता ज्यादा है किन्तु इसकी मारक क्षमता कम है। पहले के फ्लू में 3 से 7 दिनों में लक्षण खत्म हो जाते थे और मरीज स्वस्थ हो जाते थे, किन्तु एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण मरीजों में लम्बे समय तक लगभग 15 दिनों तक भी रहते हैं। अगर इतिहास में देखें तो वर्ष 1918-19 में स्पेनिश फ्लू, 2002-03 में सार्स, 2005 में फ्लू, 2009-10 में स्वाइन फ्लू, 2014-15 में इबोला और 2019 से कोविड-19 का गंभीर रूप सामने आया है। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि उपचार की बात की जाए तो जैसे ही लोगों को वायरस के शुरूआती लक्षण दिखने लगें तो कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखकर इससे बचा जा सकता है।
सबसे पहले तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें। तेज बुखार होने की स्थिति में गीली तौलिया से पूरी शरीर को पोछ लें (होल बाडी स्पंजिंग) जिससे जल्द ही शरीर का तापमान सामान्य हो जायेगा। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, तरल पदार्थो का सेवन करें और शरीर को हाईड्रेट रखें। ठंडी चीजों से दूर रहें। गर्म पानी का भाप दिन में कम से कम दो बार अवश्य लें।
sudha jaiswal