वाराणसी। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति अत्यंत गंभीर है। 5 अगस्त 2024 के बाद उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट ने वहां अराजकता फैला दी है। प्रतिदिन आ रही खबरें वहां के भयावह हालात को उजागर करती हैं, जो किसी भी सभ्य समाज को झकझोरने के लिए पर्याप्त हैं। केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और समाधान के लिए प्रयास करने का आह्वान किया।
बांग्लादेश से आए हिंदुओं की पीड़ा
बांग्लादेश से 12 हिंदुओं का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली की विदुषी मधु के साथ वाराणसी पहुंचा। उन्होंने शंकराचार्य से अपनी व्यथा साझा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि वहां उनकी संपत्तियों को लूटा जा रहा है, आगजनी की घटनाएं हो रही हैं, और उनकी बहन-बेटियों के साथ पाशविक व्यवहार किया जा रहा है। यह अत्याचार न केवल उनके लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए शर्मनाक है।
धर्मांतरण का दबाव और हिंदुओं का प्रतिरोध
शंकराचार्य ने इन पीड़ितों से उनकी व्यथा सुनने के बाद पूछा कि वे अपना धर्म क्यों नहीं बदल लेते। इस पर प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि वे मरते दम तक इस्लाम स्वीकार करने की सोच भी नहीं सकते। उनकी इस दृढ़ता ने शंकराचार्य को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि ये हिंदू उन भारतीयों से अधिक साहसी हैं, जो थोड़े से प्रलोभन में अपना धर्म बदल लेते हैं।
हिंदुओं पर अत्याचार और बढ़ते खतरे
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। सरकारी नौकरियों में कार्यरत हिंदुओं को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है, पुजारियों की हत्या हो रही है, और महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। धर्मांतरण के दबाव में न झुकने पर जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं।
प्रतिनिधिमंडल की मांगे
प्रतिनिधिमंडल ने शंकराचार्य के समक्ष अपनी कुछ प्रमुख मांगे रखीं, जो निम्नलिखित हैं:
- अलग राष्ट्र या स्वायत्त क्षेत्र: हिंदुओं के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र का निर्माण, जहां बांग्लादेश सरकार का हस्तक्षेप न्यूनतम हो।
- आबादी की अदला-बदली: बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत में बसाना और मुसलमानों को बांग्लादेश भेजना।
- नागरिकता संशोधन कानून में सुधार: हिंदुओं को भारत में स्थायी रूप से बसने का अधिकार देना।
- वैश्विक हिंदू नागरिकता: इजरायल के मॉडल की तर्ज पर दुनिया के हर हिंदू को भारत का नागरिक माना जाए।
- वीजा अवधि का विस्तार: भारत में निवास कर रहे बांग्लादेशी हिंदुओं की वीजा अवधि बढ़ाई जाए।
- रोजगार की व्यवस्था: जबरन नौकरियों से निकाले गए हिंदुओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं।
- शंकराचार्य पीठ का प्रतिनिधिमंडल: हिंदुओं के समर्थन और मनोबल बढ़ाने के लिए बांग्लादेश में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाए।
भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उदासीनता
शंकराचार्य ने यह भी दुख व्यक्त किया कि भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा पर चुप हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की चिंता की जाती है, उसी प्रकार बांग्लादेशी हिंदुओं की पीड़ा को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
गौरव और संघर्ष की लड़ाई
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वे अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे। उन्होंने किसी प्रकार की आर्थिक सहायता की मांग नहीं की, बल्कि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि वे अपमानित होकर भीख मांगने की बजाय गर्व के साथ संघर्ष करते हुए मरना पसंद करेंगे।
भविष्य के प्रयास और उम्मीदें
शंकराचार्य ने कहा कि इस समस्या का समाधान तत्काल नहीं होगा, लेकिन प्रयासों की शुरुआत जरूर होनी चाहिए। उन्होंने सभी से अपील की कि वे बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में खड़े हों और उनकी पीड़ा को विश्व समुदाय के सामने लाएं।
Highlights
समाज के प्रति कर्तव्य
शंकराचार्य ने उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेशी हिंदुओं की सहायता के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि ईश्वर की कृपा हुई, तो परिस्थितियां अवश्य बदलेंगी, क्योंकि भगवान के न्यायालय में देर है, लेकिन अंधेर नहीं।