Kachahari Bomb Blast: वाराणसी में एक बार फिर 18 साल पुराना जख्म हरा हो गया। आज से ठीक 18 साल पहले 23 नवम्बर 2007 को दिल दहला देने वाले धमाकों की बरसी पर कचहरी परिसर फिर उसी दर्द, उसी चीख और उसी वीरता की गवाही देता दिखाई दिया। अधिवक्ताओं की आँखें नम और दिल भारी था। मोमबत्तियों की टिमटिमाती लौ के बीच शहीद हुए साथी अधिवक्ताओं को पुनः याद किया गया और उनकी स्मारक पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन श्रद्धांजलि के साथ-साथ आज का दिन एक कड़वा सवाल भी छोड़ गया—क्या 18 साल बाद भी हमारी कचहरी सुरक्षित है? क्या शहीदों का न्याय अब भी अधूरा है?

वाराणसी कचहरी में हुए सिलसिलेवार धमाकों (Kachahari Bomb Blast) की आज 18वीं बरसी पर अधिवक्ता समुदाय ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। अधिवक्ता समाज ने उन शहीद साथियों को याद किया, जिन्होंने न्याय के इस मंदिर में आतंकियों की कायराना हरकत का सबसे बड़ा दर्द झेला था। इस दौरान बड़ी संख्या में वकील शहीद स्थल पर एकत्रित हुए और मोमबत्तियाँ जलाकर साथियों को स्मरण किया। पूरा परिसर “शहीद भोला सिंह अमर रहें”, “शहीद ब्रह्मप्रकाश शर्मा अमर रहें”, “शहीद बुद्धिराज पटेल अमर रहें” जैसे नारों से गूंज उठा।
इस अवसर पर अधिवक्ताओं ने साफ कहा कि हमारे जो साथी हमें छोड़ कर चले गये, वह आज भी हमारे दिलों में जिन्दा है। साथ ही 18 साल बाद भी न्याय अधूरा है, और कचहरी (Kachahari Bomb Blast) की सुरक्षा भगवान भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती।

वहीं पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय ने बम धमाके (Kachahari Bomb Blast)की घटना के 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी आरोपियों के न पकड़े जाने पर नाराज़गी जताई और इस घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है। उन्होंने जिला जज को दिए ज्ञापन में कचहरी की सुरक्षा CISF को सौंपने की भी अनुशंसा की है। नित्यानंद राय व अन्य अधिवक्ताओं ने चेताया है कि यदि सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया तो पुनः किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता।
Kachahari Bomb Blast: सुरक्षा को लेकर उठी गंभीर चिंताएँ
जिले के न्यायालय परिसर की सुरक्षा को लेकर अधिवक्ताओं ने जिला जज को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन पर जिन बातों को साझा किया गया है, वह इस प्रकार हैं-
- वर्तमान में कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था बेहद ढीली है। परिसर में बिना रोक-टोक बाइक व साइकिलों का प्रवेश जारी है, जबकि 2007 के धमाकों के बाद इन वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया था। चूँकि उसी हमले में साइकिलों में बम लगाया गया था, इसलिए यह गंभीर लापरवाही मानी जा रही है।
- 2007 के दोहरे धमाके (Kachahari Bomb Blast) में तीन अधिवक्ताओं सहित नौ लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए थे।
- अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रशासन द्वारा सुरक्षा के दावों के बावजूद कचहरी की सुरक्षा आज भी भगवान भरोसे है।
- सुरक्षा में कमी का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल 2016 को दीवानी कचहरी के गेट नंबर 2 के पास दो जिंदा बम मिले थे, जिन्हें समय रहते निष्क्रिय किया गया।
- वर्ष 2018 में गेट नंबर 1 के पास सुतली बम मिलने की घटना भी सुरक्षा खामियों का बड़ा संकेत है।
- कचहरी शुरू से आतंकियों के निशाने पर रही है, इसलिए यहाँ ठोस और पुख्ता सुरक्षा इंतज़ाम तत्काल किए जाने अत्यावश्यक हैं।
गौरतलब है कि 23 नवंबर 2007 को दोपहर दो बजे के करीब दीवानी कचहरी परिसर में पहला बम धमाका (Kachahari Bomb Blast)हुआ था और मात्र दो मिनट बाद कलेक्ट्रेट स्थित हनुमान मंदिर के सामने दूसरा विस्फोट हुआ। इन हमलों में अधिवक्ता भोला सिंह, ब्रह्मप्रकाश शर्मा और बुद्धिराज पटेल सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस धमाके ने ना सिर्फ कचहरी बल्कि पुरे शहर को हिला कर रखा दिया था। आज तक जो भी इस घटना को याद करता है, उसका दिल दहल उठता है।
कार्यक्रम में बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश तिवारी, महामंत्री शशांक श्रीवास्तव, पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय, प्रेमप्रकाश सिंह गौतम, संयुक्त मंत्री सत्यप्रकाश सिंह, सुनील, राहुल श्रीवास्तव, अंकुर प्रकाश सहित अनेक अधिवक्ता मौजूद रहे।

