Varanasi: जिला प्रशासन द्वारा न्यायिक आदेशों की अनदेखी महंगी पड़ गई। भूमि अर्जन प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी के आदेश की अवहेलना करने के चलते जिलाधिकारी का बैंक खाता सीज कर दिया गया, जिससे तीनों तहसीलों के 800 कर्मचारियों का वेतन अटक गया।
क्या है पूरा मामला?
बरेका (बनारस रेल इंजन कारखाना) के भूमि अर्जन मामले में लंबे समय से मुआवजे को लेकर विवाद चल रहा था। भूमि स्वामी वर्षों तक कलेक्टर और भूमि अर्जन अधिकारी के दफ्तर के चक्कर लगाकर परेशान हो चुका था।
थक हारकर उसने भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर की। प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी किरण पाल सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद आदेश जारी कर 10,70,026 रुपये का बढ़ा हुआ मुआवजा तत्काल अदा करने का निर्देश दिया।
लेकिन जिला प्रशासन ने इस आदेश की अनदेखी कर दी, जिसके बाद जज ने जिलाधिकारी का सिविल हेड खाता (2029) सीज कर दिया।
Varanasi: 800 कर्मचारियों का वेतन और एरियर अटका
जिलाधिकारी का खाता सीज होने के कारण राजातालाब, सदर और पिंडरा तहसील के करीब 800 सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाया। प्रभावित कर्मचारियों में CRA अनुभाग के अधिकारी, लेखपाल, संग्रह अमीन, संग्रह अनुसेवक, कानूनगो, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
Highlights
प्रशासनिक लापरवाही बनी चर्चा का विषय
इस घटना के बाद जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। न्यायालय के आदेश की अवहेलना न केवल वेतन अटकने की वजह बनी, बल्कि सरकारी कार्यप्रणाली की गंभीर खामियों को भी उजागर कर गई।