Varanasi: वाराणसी पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फर्जी ट्राई और सीबीआई अधिकारियों के रूप में खुद को पेश करके डिजिटल हाउस अरेस्टिंग के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी करता था। आरोपियों के पास से मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, टैबलेट और ₹11,500 नकद बरामद किए गए हैं।
मामला तब प्रकाश में आया जब अनुज कुमार यादव, निवासी माधव नगर कॉलोनी, सारनाथ, ने शिकायत दर्ज कराई कि साइबर अपराधियों ने उनके साथ फर्जी ट्राई और सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल हाउस अरेस्टिंग के माध्यम से ₹98 लाख की ठगी की। इस घटना के संबंध में वाराणसी के साइबर क्राइम थाना में संबंधित धाराओं और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। मामले की जांच प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्रा द्वारा की जा रही थी।
Varanasi: कैसे करते थे ठगी
साइबर अपराधी सबसे पहले फर्जी ट्राई या सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों को वर्चुअल नंबर से कॉल करते थे। वे पीड़ितों को झूठा दावा करते थे कि उनके नाम पर जारी सिम कार्ड अवैध गतिविधियों में शामिल है। इसके बाद, डिजिटल हाउस अरेस्टिंग का डर दिखाकर वे पीड़ितों से तथाकथित “वेरिफिकेशन” के नाम पर आरबीआई से जुड़े खातों में पैसा ट्रांसफर करवाते थे।
पैसे को तुरंत फर्जी गेमिंग ऐप्स के जरिए ट्रांसफर कर दिया जाता था। इस प्रक्रिया में अपराधी ईसीएस और ईआईपी सेवाओं का उपयोग करते हुए ओटीपी हासिल करने के लिए एसएमएस फॉरवर्डिंग ऐप जैसे “ड्रैगन एसएमएस” का इस्तेमाल करते थे। अपनी पहचान छुपाने के लिए वे फर्जी सिम कार्ड, म्यूल बैंक अकाउंट्स और वर्चुअल मशीन का उपयोग करते थे।
मोबाइल, ATM समेत कई उपकरण व नकदी बरामद
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान दिनेश कुमार (32), निवासी नेवढिया, जौनपुर और राजेश चौधरी (44), निवासी बक्सा, जौनपुर के रूप में हुई है। दोनों के पास से चार एंड्रॉइड मोबाइल, एक एटीएम कार्ड, दो क्यूआर कोड, दो चेक बुक, 12 कैंसिल चेक और ₹11,500 नकद बरामद किए गए।
पुलिस की कार्रवाई और अपराधियों का इतिहास
मामले की गंभीरता को देखते हुए वाराणसी पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में एक विशेष टीम का गठन किया गया। टीम ने गहन जांच और तकनीकी निगरानी के जरिए आरोपियों को गिरफ्तार किया।
आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 308(2), 318(2), 318(4), 338, 336(3), 340(2), और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले में अन्य सहयोगियों और ठगी में इस्तेमाल किए गए उपकरणों की खोज में जुटी हुई है।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय
डिजिटल हाउस अरेस्टिंग साइबर अपराधियों का एक खतरनाक तरीका है, जिसमें वे लोगों को डराकर उनसे पैसे ठगते हैं। इससे बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है। नीचे कुछ आसान और प्रभावी तरीके दिए गए हैं, जो आपको ऐसे अपराधों से बचा सकते हैं:
1. अज्ञात कॉल्स और लिंक से सावधान रहें
- यदि कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी (जैसे ट्राई, सीबीआई, आरबीआई) बताकर कॉल करता है, तो उसकी बातों पर तुरंत भरोसा न करें।
- किसी भी अज्ञात नंबर से आई कॉल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें।
2. व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें
- किसी भी कॉल, मैसेज, या ईमेल पर अपनी पर्सनल जानकारी (जैसे बैंक डिटेल्स, ओटीपी, आधार नंबर) साझा करने से बचें।
- सरकारी संस्थाएं फोन पर संवेदनशील जानकारी नहीं मांगती हैं।
3. मजबूत पासवर्ड और दो-स्तरीय सुरक्षा (2FA) का उपयोग करें
- अपने बैंक खाते, ईमेल, और अन्य महत्वपूर्ण अकाउंट्स के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ऑन करें ताकि कोई भी बिना आपकी अनुमति के अकाउंट एक्सेस न कर सके।
4. साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें
- यदि आपको किसी साइबर अपराध का संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर संपर्क करें।
- नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराएं।
5. वर्चुअल नंबर और ऐप्स से सावधान रहें
- अगर कॉलर वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहा हो, तो उसे नजरअंदाज करें।
- एसएमएस फॉरवर्डिंग या रिमोट एक्सेस ऐप्स (जैसे AnyDesk, TeamViewer) इंस्टॉल करने की मांग करने वाले कॉल्स से सतर्क रहें।
6. डिजिटल बैंकिंग पर नजर रखें
- अपने बैंक खातों का नियमित रूप से मॉनिटर करें।
- अनजानी ट्रांजेक्शन्स की जानकारी तुरंत बैंक को दें।
7. ठगी से जुड़े संकेत पहचानें
- अगर कोई व्यक्ति “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहता है, तो समझ लें कि यह साइबर ठगी है।
- सरकारी अधिकारी सीधे बैंक ट्रांसफर करने के लिए नहीं कहते।
8. साइबर सुरक्षा ऐप्स का इस्तेमाल करें
- अपने डिवाइस में एंटीवायरस और साइबर सुरक्षा ऐप्स इंस्टॉल करें।
- नियमित रूप से सॉफ़्टवेयर अपडेट्स करते रहें।
9. सतर्कता और जागरूकता फैलाएं
- अपने परिवार और दोस्तों को भी इन खतरों के बारे में बताएं।
- बच्चों और बुजुर्गों को साइबर सुरक्षा के नियम सिखाएं।
10. आधिकारिक जानकारी की पुष्टि करें
- किसी भी संदेहास्पद कॉल के मामले में संबंधित सरकारी संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
सतर्कता और जानकारी ही आपके लिए सबसे बड़ा हथियार है। ऐसे खतरों से बचने के लिए जागरूक रहें और दूसरों को भी सतर्क करें।