- Carbon Dating को लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज करायी
- मुस्लिम पक्ष ने सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
- कार्बन डेटिंग की नई तकनीक के जरिये से शिवलिंग को नहीं होगा कोई नुक्सान
वाराणसी | वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। कुछ दिन पहले हाइकोर्ट ने ज्ञानवापी कोर्ट कमीशन की सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेंटिग (Carbon Dating) कराने का आदेश दिया था ताकि यह पता चल सके कि यह कितना पुराना है। इसी को लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज करायी है और सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
हालांकि यह उम्मीद पहले से की जा रही थी कि मुस्लिम पक्ष शांत नहीं बैठेगा, वह इसे रोकने के लिए कोई ना कोई कदम उठाएगा, ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किया है।

मुस्लिम पक्ष की ओर से यह याचिका अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। जिसमें उन्होंने यह कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश पारित करने के बारे में बताया और यह कहा कि उन्होंने कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) की अनुमति प्रदान कर दी है।
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सर्वाेच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी गयी है और अब इस मामले पर कल मुख्य न्यायधीश डी. वाई चंद्रचूण और न्यायमूर्ति पीएस नरसिंहा, जेबी पादरीवाला सुनवाई करेंगे।

हालांकि इससे पहले हाईकोर्ट ने इस कार्बन डेटिंग सर्वे के लिए मना कर दिया था क्योंकि इस प्रणाली के लिए उन्हें शिवलिंग का 10 ग्राम हिस्सा निकालना पड़ता जिसके चलते शिवलिंग क्षतिग्रस्त होती, ऐसे में यह याचिका खारिज कर दी गयी थी।
Carbon Dating की नयी तकनीक से नहीं होगा शिवलिंग को कोई नुक्सान :
कार्बन डेटिंग की अब जब नई तकनीक आ चुकी है जिसके तहत शिवलिंग को बिना हाथ लगाए उसकी कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) की जा सकती है और उसकी प्राचीनता का पता लगाया जा सकता है तो हाईकोर्ट ने इसके पक्ष में आदेश पारित कर दिया है। बता दें कि यह पक्ष हाईकोर्ट को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों, आईआईटी और विशेषज्ञों से रायशुमारी कर बताया था।

बताते चलें कि कोर्ट कमीशन सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंगनुमा आकृति को आदिविश्वेश्वर बताने के दावे के बाद वाराणसी जिला न्यायालय ने उसे संरक्षित घोषित कर वजू करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी मामले की पुरी जांच के लिए हिंदू पक्ष ने जिला न्यायालय से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक उपायों से पता लगाने की मांग की थी।
जिस पर जिला अदालत ने हिंदू पक्ष के खिलाफ फैसला दिया था और यह कहा था कि इससे शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। इसके बाद मामला हाईकोर्ट चला गया था और हाईकोर्ट द्वारा इस तकनीक के बारे में पुरी तरह से पता लगाने के लिए इसकी कार्बन डेटिंग की अनुमति दे दी गयी है। इसी के खिलाफ मुस्ल्मि पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है।