लखनऊ। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने कहा है कि भाजपा हिमाचल व कर्नाटक में मिली हार से सबक लें और पुरानी पेंशन बहाली, रेगुलराइजेशन, निजीकरण पर रोक लगाने व खाली पड़े लाखों पदों को भरने जैसी न्यायोचित मांगों पर गंभीरता से गौर करें। महासंघ ने आगाह किया है कि अगर उक्त मांगों की अनदेखी जारी रही तो इस साल होने वाले विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा को कर्मचारियों एवं उनके परिजनों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। यह चेतावनी अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बृहस्पतिवार को स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए दी। उन्होने कहा कि कर्मचारियों के निरंतरता में चल रहे आंदोलन के कारण पुरानी पेंशन बहाली अब प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और इसके चुनावों में परिणाम भी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि कर्मचारियों को पीएफआरडीए एक्ट में कोई संशोधन मंजूर नहीं है।
केंद्र एवं राज्य कर्मियों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए कसी कमर
महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा व उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा ने कहा कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ और कनफरडेशन आॅफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स ने कर्मचारियों की प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन के लिए कमर कस ली है। उन्होंने कहा कि मई से जन संपर्क अभियान चला हुआ है और 27 जून को देशभर में जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और मांगों के ज्ञापन प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री को भेजें जाएंगे।
9 अगस्त से शुरू होंगे वाहन जत्थे, 3 नवंबर को दिल्ली में होगी रैली
महासंघ के अध्यक्ष लांबा ने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी 9 अगस्त को सभी राज्यों में एक साथ कर्मचारियों के सैकड़ों वाहन जत्थे शुरू किए जाएंगे। यह जत्थे रीच टू ईच नारे के साथ सभी महानगरों, शहरों, कस्बों में कर्मियों के कार्य स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर सभाएं करेंगे। यह जत्थे जन संपर्क अभियान चलाते हुए 3 नवंबर को दिल्ली में पहुंचेंगे और दिल्ली में विशाल कर्मचारी रैली आयोजित की जाएगी।
sudha jaiswal