शंकर जालान
कई जगह ऐसी तख्ती देखने को मिल जाएगी, जिस पर लिखा रहता है- सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। यहां लोगों से सावधान रहने की अपील की जा रहे हैं, लेकिन उस सुरक्षा और सावधानी क्या, जो पूरी तरह सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है।
ओडिशा के बालासोर में हुआ रेल हादसा न केवल इस बात का गवाह है सरकारी तंत्र व यंत्र लचर है, बल्कि सुरक्षा-व्यवस्था की पोल भी खोल रहा है। इतना ही नहीं शुक्रवार के भीषण हादसे ने भारतीय रेल के सिग्नल, कवच, ट्रेनों और मार्गों के रख-रखाव और सुरक्षा के उपायों कटघरे में खड़ा कर दिया है।
जानकारों का मानना है कि यह अपनी तरह का पहला हादसा है जब तीन रेल गाड़ियां आपस में यूं टकरा गई हो। हादसे से बाद मृतकों की पहचान कर परिजनों को शव सौंपे जा रहे हैं, जख्मी हुए यात्रियों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज हो रहा है। इसके साथ ही राहत व बचाव कार्य जारी है, इस बीच रेल हादसे की उच्चस् तरीय जांच शुरू कर दी गई है। शुरुआती जांच में रेलवे के ‘कवच’ प्रणाली को लेकर उठ रहे कई सवालों के बीच रेलवे ने सफाई स्वरूप कहा कि जिस मार्ग पर हादसा हुआ है वहां कोई ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध नहीं थी।
यह हादसा रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए बड़ी चुनौती है, जिसे स्वीकार करते हुए वैष्णव शनिवार सुबह ही वह घटनास्थल पर पहुंचे और खुद राहत व बचाव कार्य की बारिकी से देखरेख की। मालूम हो कि यह हादसा उसी इलाके में हुआ है, मौजूदा रेलमंत्री जहां कभी जिलाधिकारी हुआ करते थे।
शुक्रवार की घटना को लेकर वैष्णव ने कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी और सरकार इसकी तह तक जाने की कोशिश करेगी।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने बालासोर रेल हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि यह दुर्घटना इस बात को सोचने के लिए बाध्य करती है कि रेलवे में सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। पार्टी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए अपने दो वरिष्ठ नेताओं अधीर रंजन चौधरी और ए चेल्ला कुमार को घटनास्थल पर भेजा। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस दुर्घटना को लेकर कई सवाल उठाने की जरूरत है, उनकी पार्टी सिलसिलेवार तरीके से इन सवालों को उठाएगी।
रेल हादसे के बाद से विपक्षी दल की ओर से वैष्णव का एक पुराना वीडियो भी साझा किया जा रहा है। विपक्ष ने सवाल किया कि क्या ट्रेनों में टक्कररोधी उपकरण व्यापक रूप से लगाए गए हैं और क्या ये दुर्घटना को टाल सकते थे ? इसमें वे बताते हैं कि उन्होंने खुद एक तरह से जोखिम लेते हुए ट्रेन के इंजन में यात्रा की, जो उसी ट्रैक पर आ रही दूसरी ट्रेन से 400 मीटर पहले अपने आप रुक गई।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि हादसा किस वजह से हुआ, लेकिन ऐसा संकेत दिया जा रहा है कि इसका संभावित कारण सिग्नल में गड़बड़ी होना है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजीत पवार ने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताने के साथ ही रेलमंत्री पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों पर पहले के रेलमंत्री इस्तीफा दे दिया करते थे, लेकिन अभी कोई बोलने को तैयार नहीं है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने ट्वीट कर रेलवे की नई कवच प्रणाली पर सवाल उठाए। राजद ने लिखा कि मोदी सरकार के लिए बस ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ ट्रेनों में ही इंसान सफर हैं! अगर रेलमंत्री में कुछ नैतिकता और आत्मग्लानि हो तो इतने परिवारों में शोक की लहर दौड़ने पर तुरंत इस्तीफा दें!
गौरतलब है कि भारतीय रेल ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘कवच’ नाम का ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) प्रणाली तैयार की गई है। अगर लोको पायलट ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। इसके अलावा कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है।
रेलवे के मुताबिक जिस मार्ग पर कवच प्रणाली लगी होगी। वहां एक ही पटरी पर दो गाड़ियां आमने-सामने आ जाएं तो भी दुर्घटना नहीं होगी। कवच की घोषणा 2022 के बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत की गई थी।
sudha jaiswal