Mukhtar Ansari: कांग्रेस नेता अवधेश राय (Awadhesh Rai Murder Case) हत्याकांड के मुख्य आरोपी मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को वाराणसी के एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उसपर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है
पूर्व विधायक व कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने इस फैसले के बाद न्यायालय को झुककर प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि ये हमारे कई वर्षों के इंतज़ार का फल है। मैंने और मेरे पूरे परिवार ने धैर्य बनाए रखा था। मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के कद और उनके आगे हम झुके नहीं थे। सरकारें आईं और गईं। मुख़्तार अपने आप को मजबूत करता गया, लेकिन हमने हार नहीं मानी। इतने वर्षों के हमारे वकीलों के प्रयास पर आज न्यायालय ने मेरे भाई के हत्याकांड मामले में सजा सुनाई। मैं अपने पूरे परिवार की ओर से न्यायालय को धन्यवाद अर्पित करता हूँ।

Mukhtar Ansari VS अवधेश राय: 32 वर्ष पुराना है केस
32 वर्ष पहले 3 अगस्त 1991 का वह दिन, जब मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उसके साथियों ने पूर्व विधायक अवधेश राय (Awadhesh Rai Murder Case) की पूरे योजनाबद्ध तरीके से हत्या की थी। वह दिन मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के इतिहास में दर्ज हो गया। इस वारदात को अंजाम देने से पहले हमलावरों ने कई बार रेकी की थी। जिसके बाद मुख़्तार साथियों ने इस नृशंस हत्याकांड को अंजाम दिया।
उस दिन सुबह कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अजय राय व उनके भाई अवधेश राय (Awadhesh Rai Murder Case) सुबह के समय में घर के बाहर टहलने निकले थे। दोनों अपने घर के बाहर खड़े थे। तभी एक वैन तेजी से आकर रुकी। अंदर से कुछ लोग निकले और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले हमलावर फरार हो गए। अजय राय ने वैन का पीछा करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। अवधेश राय (Awadhesh Rai Murder Case) को नजदीकी में स्थित मंडलीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस प्रकरण की सुनवाई पहले बनारस के ही एडीजे कोर्ट में चल रही थी। लेकिन 23 नवंबर 2007 को सुनवाई के दौरान ही अदालत से कुछ ही दूरी पर बम ब्लास्ट हो गया। जिसके बाद हत्याकांड में शामिल एक आरोपी राकेश ने अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट में गुहार लगाई। जिसके बाद काफी दिनों तक सुनवाई पर रोक लगी रही। विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए/कोर्ट के गठन होने पर इलाहाबाद में सुनवाई शुरू हुई। फिर बनारस में एमपी/एमएलए के विशेष कोर्ट के गठन होने पर सिर्फ मुख्तार अंसारी के खिलाफ सुनवाई हुई। जबकि राकेश न्याय की पत्रावली अभी भी वहीं पर लंबित है।