शिक्षकों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने, पेंशन मेमोरेंडम जारी करने, राज्य कर्मचारियों की तरह शिक्षकों को कैशलेश चिकित्सा सुविधा देने, पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को मूल वेतन देकर उनकी वेतन विसंगति दूर करने सहित अपने 22 सुत्री मांगपत्र के साथ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी ने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय पर धरना (Teacher Strike) दिया।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा तथा उत्तर प्रदेश शासन के खिलाफ जनपद के सैकड़ों शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों एवं रसोइयों के साथ जोरदार धरना प्रदर्शन दिया और महानिदेशक एवं मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला बेसिक शिक्षाधिकारी वाराणसी डाक्टर अरविंद पाठक को सौंपा।
यह धरना (Teacher Strike) महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर अपने प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय पर दिया गया। आज के धरना कार्यक्रम का नेतृत्व प्रदेश संयुक्त मंत्री एवं वाराणसी के जिलाध्यक्ष शशांक कुमार पाण्डेय ‘शेखर’ ने किया।

वहीं संचालन जिला महामंत्री आनंद कुमार सिंह ने तथा संयोजन जिला संघर्ष समिति के संयोजक एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश पाल ने किया।
Teacher Strike : महानिदेशक एवं मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा
धरने (Teacher Strike) की अगुवाई करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश संयुक्त मंत्री एवं वाराणसी के जिलाध्यक्ष शशांक कुमार पाण्डेय ने कहा कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने अपने तमाम ऊल-जुलूल एवं तुगलकी आदेशों से बेसिक शिक्षा को प्रयोगशाला तथा शिक्षकों को प्रयोगशाला का चूहा बना दिया है जिसकी वजह से शिक्षक न तो बच्चों को ठीक से पढ़ा पा रहे हैं, न ही अपने किसी समस्या का समाधान कर पा रहे हैं।

बेसिक शिक्षा के अंतर्गत आने वाले परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक उच्च शिक्षित एवं प्रशिक्षित हैं। जिनमें योग्यता की जरा भी कमी नहीं है। फिर भी महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद इन शिक्षकों एवं परिषदीय विद्यालयों की गुणवत्ता बढ़ाने के नाम पर रोज ब रोज नये नये एनजीओ को बेसिक शिक्षा में अनपेक्षित प्रवेश करा रहे हैं।
आज के धरने (Teacher Strike) को अपना समर्थन देने के लिए बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों के साथ पहुंचे आदर्श समायोजित शिक्षक/शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अमरेंद्र दूबे ने कहा कि शिक्षामित्र पिछले 24 सालों से विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
उनके साथ के शिक्षकों का 24 साल में वेतन लाखों में पहुंच गया परंतु शिक्षामित्रों को मात्र 10 हजार के मानदेय पर काम करने के लिए मजबूर कर दिया गया है जबकि उनसे पढ़ाने के साथ ही शिक्षकों की तरह ही जनगड़ना, बालगड़ना, मतदाता पुनरीक्षण, निर्वाचन जैसे कार्य लिया जाता है।

आज के धरना (Teacher Strike) कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी की महिला विंग की जिलाध्यक्ष डॉ. रमा रुखैयार ने कहा कि केंद्र सरकार ने 3 मार्च 2023 को पेंशन मेमोरेंडम जारी करके अपने हर उस कर्मचारी एवं शिक्षक को पुरानी पेंशन दे दिया है।
जो एनपीएस नोटिफिकेशन से पुर्व के विज्ञापन से चयनित हुए थे परंतु केंद्र के सभी नीतिगत निर्णयों को मानने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने शिक्षकों कर्मचारियों के लिए आज तक ऐसा पेंशन मेमोरेंडम जारी नहीं किया जो उत्तर प्रदेश राज्य में एनपीएस नोटिफिकेशन 1 अप्रैल 2005 से पुर्व के विज्ञापन से चयनित हुए थे।
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धरना में शामिल (Teacher Strike) राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी के कार्यकारी जिलाध्यक्ष ने कहा कि माननीय न्यायालय ने कई बार आदेश जारी करके शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने से मना किया है परंतु जबसे विजय किरण आनंद जी महानिदेशक बने हैं तबसे शिक्षकों को दिन-रात गैर शैक्षणिक कार्यों में न केवल उलझाया जा रहा है अपितु उनसे छुट्टियों में भी काम लिया जा रहा है।
धरना में शामिल (Teacher Strike) जिला संघर्ष समिति के संयोजक एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी के जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा कि कोरोना जैसी आपात स्थिति में शिक्षकों से चिकित्सा कर्मियों की तरह दिन रात काम लिया गया लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जब बात उन्हें राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेश चिकित्सा सुविधा देने की आई तो विभागीय अधिकारियों द्वारा उन्हें धोखा देते हुए प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों से भी ज्यादा महंगी चिकित्सा बीमा बेची जा रही है जिसका हम विरोध करते हैं।