- गुरुवार को मेले के तीसरे दिन (Rathyatra Mela 3rd Day) 4 पग खींचा गया भगवान जगन्नाथ का रथ
- ढोल-मंजीरा के साथ भक्त्तों ने किया अपने भगवन का स्वागत
- डमरू के धुन से गूंज उठा पूरा परिसर, सैकड़ों की संख्या में मौजूद रहें श्रद्धालु निकाली गयी डोली यात्रा
- नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की आरती उतारने के लिए भक्त्तों में मची होड़
काशी के लक्खा मेले में शुमार भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा (Rathyatra Mela 3rd Day) मेले का आज आखिरी दिन है। गुरुवार को श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचकर रथयात्रा चौराहे की तरफ लेकर गए। भक्तों ने ढोल, नगाड़े और मंजीरा बजाकर भगवान की भव्य आरती उतारी और इसी के साथ ही रात में शयन आरती करके भगवन के दर्शन होने बंद हो जाएंगे।
फिर शुक्रवार की सुबह 5 बजे मंगला आरती करके तीनों प्रतिमाओं को अस्सी के जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में वापस रख दिया जाएगा। इसके बाद भक्तों के दर्शन पूजन के लिए मंदिर के पट खोले जाएंगे।

विधायक अजय राय ने कहा कि भगवान जगन्नाथ की पूजा करने का अवसर हमें मिलता है हम बहुत सौभाग्यशाली हैं। इसके साथ ही हम काशीवासी भी बहुत भाग्यशाली है कि हमें भगवान जगन्नाथ की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है।
May You Read : राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वाराणसी ने दिया जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय पर धरना
बताते चलें कि इस तीन दिवसीय रथयात्रा मेले (Rathyatra Mela 3rd Day) में 4 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अपने अराध्य के दर्शन व उनके मनोरम स्वरूप को देखने के लिए पहुंचे। रथ को हर 3 दिन 4-4 पग आगे बढ़ाने की परम्परा है। काशीराज परिवार के अनंत नारायण सिंह ने भगवान को छौंका, मूंग, चना, पेड़ा, गुड़, खांडसारी नीबू के शर्बत का तुलसी युक्त भोग लगाया।

Rathyatra Mela 3rd Day : 164 साल बाद 1966 में पहली बार इस रथ की हुई रिपेयरिंग
1802 में भोसले राजा व्यंकोजी महाराज और बेनी राम ने इस भव्य रथ को नेपाली साखू की लकड़ी से निर्मित करवाया था। इतना ही नहीं पूरे 164 साल बाद 1966 में पहली बार इस रथ की रिपेयरिंग हुई थी। इस रथ में नेपाली साखू की लकड़ी के साथ शीशम की लकड़ी का भी प्रयोग किया गया है।
सात वार और नौ त्योहार वाले शहर काशी में लक्खा मेले के साथ त्योहार का सिलसिला शुरू हो गया है जो कि देव दिपावली तक चलेगा। इस वक्त्त उड़ीसा के पूरी के साथ ही काशी के रथयात्रा में की धूम चारो ओर है।