लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज होने वाली है। 2024 (Mission 2024) में होने वाले लोकसभा चुनाव का शंखनाद वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने वाले हैं। जिसके लिए 7 जुलाई को उनका वाराणसी दौरा प्रस्तावित है। अब इसके बाद सबकी नजरें पूर्वांचल की प्रमुख सीटों में मुख्य भूमिका रखने वाले पीएम के संसदीय क्षेत्र पर है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से पूर्वांचल (Mission 2024) को साधेंगे। सावन के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री वाराणसी में रिंग रोड किनारे हरहुआ चौराहे के पास वाजिदपुर में जनसभा करेंगे। इसकी तैयारियों में जिला व महानगर इकाई जुट गई है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री की वाराणसी में इस पहली चुनावी जनसभा को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी है।
Mission 2024 : सावन के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री करेंगे जनसभा
पीएम मोदी वाराणसी में कार्यकर्ताओं को जीत का चुनावी मंत्र (Mission 2024) भी देंगे। वहीँ बतौर सांसद प्रबुद्धजनों से मुलाकात भी करेंगे। इसके साथ ही वे केंद्र सरकार की 9 वर्ष की उपलब्धियां भी बताएंगे। प्रधानमंत्री बारेका के अतिथि गृह में विश्राम भी करेंगे। पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप सिंह पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री की जनसभा ऐतिहासिक होगी। वाराणसी व आसपास के जिलों से कार्यकर्ता, पदाधिकारी जनसभा में आएंगे। जनकल्याणकारी योजना के लाभार्थियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। उन्हें योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर वाराणसी क जिला व महानगर इकाई में कुछ बदलाव भी किये जाने हैं। ऐसे में सभी दिग्गज अपने खासम खास लोगों को संगठन में पद दिलाने में जुट गए हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो, शीर्ष संगठन वर्तमान के कुछ पदाधिकारियों से नाराज चल रहा है। जिसके चलते संगठन में बड़े बदलाव की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं इस बात के संकेत दिए थे कि बीजेपी के लिए जनता पहले है। जनता की समस्याएं (Mission 2024) ही सर्वोपरि हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं का जनता के बीच न उपस्थित रहना शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी का प्रमुख कारण है।
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बीजेपी की वाराणसी सीट काफी मजबूत है। प्रधानमंत्री स्वयं इस क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी वाराणसी के संगठन में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होने देना चाहती। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार सोशल इंजीनियरिंग वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। वाराणसी के तर्ज पर ही पूर्वांचल के अन्य जिलों के संगठनात्मक ढांचे को मूर्त रूप दिया जाएगा। ऐसे में इस बार प्रधानमंत्री का काशी आगमन काफी मायने रख रहा है।