Chandrayaan-3: पूरे भारत को जिस घडी के बेसब्री से इंतज़ार था, वह आज आ ही गई। आज चंद्रयान-3 ने उड़ान भरी, जो कि सभी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया गया। बताया जा रहा है कि 40 दिनों की यात्रा पूरी करने के बाद चंद्रयान-3 का रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। चांद की ओर भारत का यह तीसरा मिशन है। भारत ने अगर इस कोशिश में सफलता हासिल कर ली तो वो दुनिया का तीसरा देश बन जाएगा, जिसने इस क्षेत्र में उपलब्धि हासिल कर ली है।
बता दें कि 1972के बाद अबतक कोई मनुष्य चांद पर नहीं पहुंचा, लेकिन क्या आप जानते है ऐसा क्यों इसके पीछे की क्या वजह है। आइए इसके पीछे का कारण और मिशन के बारे में आपको डिटेल्स में बताते है।
Chandrayaan-3: पहले भारत ने दो बार किया था प्रयास
इससे पहले 22 अक्टूबर 2008 को भारत ने चंद्रयान-1 को को लॉन्च किया था, लेकिन 14 नवंबर 2008 को जब चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सीमा के पास पहुंचा, तो वहां वो दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बाद दूसरी कोशिश 22 जुलाई 2019 को की गई, लेकिन 2 सितंबर 2019 को चंद्रयान-2 चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद के चक्कर लगाते वक्त लैंडर विक्रम से अलग हो गया, लेकिन चांद की सतह से जब वह 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था तो उसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया।

Chandrayaan-3: 21 जुलाई की तारीख इतिहास में दर्ज
Highlights
21 जुलाई 1969 की तारीख उस दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई थी। इस दिन पहली बार किसी मनुष्य ने चाँद पर अपने कदम रखे थे। चांद पर पहली बार अपने कदम रखने वाले पहले इंसान थे, नील आर्मस्ट्रांग। इनके बाद आखिरी बार (Chandrayaan-3) चांद पर 1972 यूजीन सेरनन गए थे। यूजीन वह आखिरी इंसान थे जो चांद पर गए थे। इसके बाद आज तक कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया। अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?क्यों इसके बाद किसी भी देश ने किसी इंसान को चांद पर क्यों नहीं भेजा? इसके पीछे का कारण क्या था? तो आइए जानते है…

1972 के बाद कोई मनुष्य नहीं गया चांद पर
चांद पर 1972 के बाद किसी इंसान को ना भेजने के पीछे सबसे बड़ा कारण (Chandrayaan-3) पैसा था। बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, लॉस एंजेलिस के कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर माइकल रिच ने बताया कि चांद पर इंसानी मिशन भेजने में काफी खर्च आया था, जबकि इसका वैज्ञानिक फायदा कम ही हुआ। इसलिए किसी भी देश ने इंसान को चांद पर भेजने का रिस्क नहीं लिया।
बता दें कि वर्ष 2004 में अमेरिका ने एक बार फिर से प्लान किया था कि वह चांद के लिए इंसानी मिशन प्लान करेगा। इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डब्ल्यू जॉर्ज बुश ने प्रस्ताव भी पेश किया। इसके लिए 104,000 मिलियन अमरीकी डॉलर का अनुमानित बजट भी बनाया गया, लेकिन बजट काफी ज्यादा होने के चलते इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

क्या है चंद्रयान (Chandrayaan) ?
चंद्रयान, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) द्वारा निर्मित और प्रबंधित की जाने वाली एक मानव चुम्बकीय चंद्रयान मिशन है। यह भारत की अंतरिक्ष मिशन की एक महत्वपूर्ण पहल है और इसका उद्देश्य चंद्रमा के नए अन्वेषण और वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से ज्ञान को बढ़ाना है। इसके तहत चंद्रमा की उपग्रहीय और मानवीय नजरियों से जांच की जाती है।
चंद्रयान (Chandrayaan)-1
भारत का पहला चंद्रयान मिशन, चंद्रयान-1, था जिसने अक्टूबर 2008 में प्रक्षेपण किया गया था। इस मिशन के तहत, चंद्रयान-1 उपग्रह ने चंद्रमा के प्रकाश से परिचित कराने के लिए छोटे और स्वचालित प्रयोगों को संचालित किया। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह भारत की पहली अंतरिक्ष मिशन थी जो स्वतंत्र रूप से चंद्रमा के पास पहुँची थी। चंद्रयान-1 उपग्रह ने चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण डेटा और तस्वीरें प्राप्त की, जिसने वैज्ञानिकों को अधिक जानकारी प्रदान की और इसरो को आगे के मिशन की योजना बनाने में मदद की।
चंद्रयान (Chandrayaan)-2
चंद्रयान (Chandrayaan) -2, जिसे 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपण किया गया था, भारत का दूसरा चंद्रयान मिशन था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के पोलार इलाकों की खोज और उसमें पानी की मौजूदगी की पुष्टि करना था। इस मिशन का मुख्य उपग्रह, चंद्रयान-2 लैंडर विक्रम और रोवर प्रग्यान चंद्रयान-2 के साथ भेजे गए। यह मिशन आंतरिक्ष में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की मुद्रणी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण था। दुर्भाग्यवश, चंद्रयान-2 उपग्रह का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक नहीं उतर सका, लेकिन मिशन को एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में माना जाता है और इसने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निष्ठा और क्षमता को दिखाया।