Gyanvapi Hate Speech Row: अपर जिला जज नवम विनोद कुमार सिंह की अदालत ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाना में गंदगी व कथित शिवलिंग पर दिये गये बयान मामले (Gyanvapi Hate Speech Row) में दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई हुई। AIMIM के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी को ओर से अधिवक्ता आब्दी और शहनवाज परवेज ने वकालत नामा लगाया। कोर्ट ने अन्य विपक्षीगण को उपस्थित होने के लिए अगली सुनवाई 16 अगस्त की तिथि नियत की है।
Gyanvapi Hate Speech: हिन्दू पक्ष ने लगाए नमाजियों पर लगाए आरोप
प्रकरण के अनुसार, वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडे ने बतौर वादी लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ निगरानी अर्जी दाखिल की है। जिसमें कहा है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित वजूखाने में नमाजियों द्वारा गंदगी (Gyanvapi Hate Speech) फैलाई जा रही है। उनका दावा है वह स्थान हमारे अराध्य देव शिव का है। इसके साथ ही यह भी कहा है कि शिवलिंग की आकृति को लेकर AIMIM के अध्यक्ष असुदद्दीन ओवैसी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने गलत बयानबाजी (Hate Speech Row) कर हिन्दूओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया था।
जिसके बाद इसलिए अखिलेश, ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। मामले (Gyanvapi Hate Speech) की सुनवाई लंबे समय से टल रही है। हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि कोर्ट के फैसले (Hate Speech Row) के बाद अखिलेश और ओवैसी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की अर्जी पर शुक्रवार को आदेश आने की संभावना
ज्ञानवापी के सम्पूर्ण परिसर के एएसआई सर्वेक्षण (ASI Survey) की अर्जी पर शुक्रवार को आदेश आने की संभावना है। कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों के दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में आवेदन किया गया था कि कोर्ट कमीशन सर्वे के दौरान मंदिर के खम्भें पर संस्कृत के श्लोक व घंटियां, स्वास्तिक, पश्चिमी भाग के दीवार में शृंगार गौरी का विग्रह मिले हैं। पश्चिमी दीवार पर मंदिर जैसा स्ट्रक्चर और शिखर पर बने तीन गुम्बद के नीचे मंडप बना पाया गया था, जो प्राचीन हिन्दू मंदिर के प्रतीक हैं।
अधिवक्ता ने अदालत से यह भी आशंका जताई है कि एक और अलौकिक शिवलिंग मिल सकता है। कहा कि पश्चिमी दीवार के पास खंडहरनुमा अवशेष, तीन गुम्बदों और व्यास जी के तहखाने की जांच भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण, जीपीआर, वैज्ञानिक व डेटिंग पद्धति से कराई जाए। साथ ही पूरे सर्वे प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी हो। कहा कि सिर्फ सील एरिया का मामला ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कोर्ट बिना आवेदन के भी सर्वे का आदेश दे सकता है। यह साक्ष्य एकत्र करने के लिए और मौकास्थल को समझने के लिए भी कोर्ट निर्णय ले सकती है। एएसआई सर्वे की मांग को गई थी।