Doshipura Controversy: दोषीपुरा में शनिवार को हुए बवाल में अब तक 14 लोगों की अब तक गिरफ़्तारी हुई है। वहीँ 36 नामजद समेत 4 हजार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इस बवाल में 50 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिसमें एक की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। उसका बीएचयू के ट्रामा सेंटर में ईलाज चल रहा है। आखिर इस बवाल का क्या कारण रहा या फिर इस बवाल के पीछे की कहानी क्या थी, जिसमें शिया और सुन्नी आपस में ही भिड़ गए।
इस घटना (Doshipura Controversy) के कारणों पर विस्तार से जानने के लिए हमें 153 वर्ष पहले फ़्लैशबैक में जाना होगा। बुनकरों की बस्ती दोषीपुरा में पीढ़ी बदलने के साथ ही चेहरे बदले। पहले जहां हथकरघों से काम होता था, अब पॉवरलूम चलने लगा। बनारसी साड़ी में नई कारीगरी के साथ ही उसकी डिजाईन भी बदली। काम करने के तौर-तरीकों, रहन-सहन आदि में कई बदलाव आए। बस 1870 से कुछ नहीं बदला तो दोषीपुरा मोहल्ले के शिया और सुन्नी के नौ प्लाटों का विवाद…
153 वर्षों से इस मोहल्ले के शिया समुदाय के लोग दावा करते हैं कि दोषीपुरा स्थित नौ प्लाट (Doshipura Controversy) उन्हें काशी रियासत के महाराजा ने मुहर्रम के दौरान धार्मिक क्रियाकलापों को संपन्न करने के लिए दिया था। वहीं, सुन्नी समुदाय के लोग भी दावा करते हैं कि क्षेत्र का एक हिस्सा उनका कब्रिस्तान है। तब से अब तक समय बीते, अदालतें आदेश देती रहीं, लेकिन विवाद जस का तस बरकरार है। नतीजतन, ताजिया के जुलूस के दौरान शनिवार को एक बार फिर शिया-सुन्नी आमने-सामने आए और जमकर पथराव हुआ। जिसमें कई घायल हुए।
Doshipura Controversy: पीढियां बदलीं, लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ
जानकारी के मुताबिक, दोषीपुरा में लगभग 24-25 बिस्वा जमीन के नौ प्लाट का विवाद (Doshipura Controversy) है। पीढ़ी दर पीढ़ी चेहरे बदल गए, लेकिन विवाद नहीं खत्म हुआ। उस जमीन में एक मस्जिद, एक बारादिरी व एक इमामबाड़ा है। शेष हिस्सा खुला मैदान है। 1870 के दशक में जमीन को लेकर शिया-सुन्नी का विवाद शुरू हुआ। देश के आजाद होने से पहले और उसके बाद अदालतों ने कई बार आदेश दिए।
वर्ष 1981 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में शिया समुदाय के अधिकार को बरकरार रखा। वर्ष 1986 में तत्कालीन राज्य सरकार ने शिया-सुन्नी के बीच संघर्ष (Doshipura Controversy) की आशंका का हवाला दिया। इस पर अदालत ने शांतिपूर्ण तरीके से समाधान का आह्वान करते हुए अपने आदेश को अगले एक दशक तक के लिए स्थगित कर दिया।
Highlights
वर्ष 1996 में दोषीपुरा के इस नौ प्लाट का स्थगन आदेश एक बार फिर एक दशक के लिए बढ़ा दिया गया। वर्ष 2014 में एक बार फिर सुप्रीम अदालत ने विवादित जमीन (Doshipura Controversy) पर शियाओं के हक को वरीयता दी। साथ ही, याचिकाकर्ताओं की मौजूदा शिकायतों को लेकर नया आवेदन करने की स्वतंत्रता भी दी। इतनी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी विवाद का समाधान नहीं हो सका। इसी वजह से यह देश में सबसे लंबे समय से जारी जमीन संबंधी कानूनी विवाद भी कहा जाता है।

क्या कहते हैं शिया और सुन्नी
शिया कहते हैं कि सभी नौ प्लाट के चारों ओर एक दीवार बना दी जाए। वहीं, सुन्नी कहते हैं कि शियाओं को मुहर्रम के दौरान धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न करने का अधिकार मिला हुआ है। इससे अधिक उन्हें वहां और क्या ‘चाहिए। ऐसे में शिया और सुन्नी के बीच पेंच फंसा ही हुआ है।
जिसने बताई अपनी जमीन, वह प्रस्तुत करे साक्ष्य: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि पुलिस आयुक्त और हमसे शिया समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। वह दोषीपुरा स्थित जमीन को अपनी बता रहे थे। उनसे पुख्ता साक्ष्य मांगे गए हैं। कहा गया है कि बताएं कि चाहते क्या हैं? वह जो साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे, उसे सत्यापित कराकर नियमानुसार और तर्कसंगत तरीके से कार्रवाई की जाएगी।