INDIA Alliance: लोकसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आने के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। देश में जो वर्तमान स्थिति है उसे देख यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार का चुनाव विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A) बनाम NDA होने वाला है।
इसी बीच यूपी में इंडिया के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला जल्द तय होने की उम्मीद है। सपा, कांग्रेस, रालोद और अन्य घटक दलों के बीच आंतरिक मंथन शुरू हो गया है। हालांकि, सीटवार इसे भाजपा के पत्ते सामने आने के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई गलतियों को दोबारा नहीं दोहराएगा। उन गलतियों से सबक लेते हुए इस बार सीटों का बंटवारा किया जाएगा। अब चूंकि कई दलों को मिलाकर एक गठबंधन (INDIA Alliance) बना है। इसलिए सभी के हितों को ध्यान में रखकर ही सीटों का बंटवारा किया जाएगा।
लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो यूपी में फिलहाल विपक्षी समावेशी गठबंधन इंडिया (INDIA Alliance) के घटक दलों की स्थिति अच्छी नहीं है। लोकसभा में भाजपा के बाद सबसे बड़े दल कांग्रेस के पास यूपी में मात्र एक सीट रायबरेली है। वर्ष 2019 के चुनाव में सपा को 5 सीटें मिली थीं और बाद में इनमें से दो सीटें आजमगढ़ और रामपुर उसने उपचुनाव में खो दीं। इस तरह से वर्तमान में सपा के पास मैनपुरी, मुरादाबाद और संभल लोकसभा तीन सीटें ही हैं। रालोद और अन्य सहयोगी दल यहां शून्य पर हैं।
विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो सपा यहां भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत है, जिसके नाते उसके नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष को तरजीह मिले। वहीं राजनीति के जानकारों के अनुसार, सीटों के मुद्दे पर मंथन चक्र में कांग्रेस के नेताओं का तर्क है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव (INDIA Alliance) की प्रकृति अलग- अलग है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि वर्ष 2014 में जब यूपी में सपा सरकार थी, तब लोकसभा में उसे मात्र पांच सीटें ही मिली थी।
India Alliance: भाजपा के अभेद्य किले को ढहाने में विपक्ष
दूसरा, लोकसभा (INDIA Alliance) के मद्देनजर यूपी में कांग्रेस और सपा की ताकत में कोई खास फर्क नहीं है। इसलिए विधानसभा की सीटों के आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए फार्मूला तय करने की समझ को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए बड़े परिप्रेक्ष्य में खुले मन से सीटों के मुद्दे पर बात होनी चाहिए, ताकि मिलकर भाजपा के अभेद्य माने जा रहे राजनीतिक किले को ढहाया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस यूपी में 25-30 सीटें मांग रही है, पर बात 15-20 सीटों पर बन सकती है। आरएलडी को विधानसभा चुनाव (INDIA Alliance) में सपा से साझेदारी के तहत 33 सीटें दी गई थी और इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में 4-5 सीटें दी जा सकती हैं। करीब 50 सीटों पर सपा लड़ेगी और 5-10 सीटें अन्य सहयोगों दलों को छोड़ी जा सकती हैं। अन्य सहयोगी दलों के लिए इंडिया की विशेष रणनीति के तहत पश्चिम में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के भी एक-दो नेताओं को चुनाव लड़ाया जा सकता है।
कुर्सी मतदाताओं को लुभाने के लिए नीतीश कुमार को भी पूर्वांचल से लड़ाने के लिए गंभीरता से विचार चल रहा है। तृणमूल कांग्रेस को भी एक सीट दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों के मुताबिक, सीटों पर प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा करने से पूर्व भाजपा के टिकट देने के समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसलिए सीटवार चेहरे घोषित करने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी।.