- शहर में सफाई, सड़क, पानी और अच्छी व्यवस्था को लेकर युवा चिंतित
वाराणसी। निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। पार्षद और मेयर को लेकर चर्चा हर गली, चौक, चौराहों से लेकर कॉलेजों तक होने लगी है। समाज का हर तबका अपने पसंद का ही मेयर चुनना चाहता है। ऐसे में जब निकाय चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है, तो इसमें युवाओं का साथ भी अत्यंत ज़रूरी है चुनावों को लेकर आज के युवा क्या सोचते हैं? इसे लेकर जनसंदेश टाइम्स ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के स्टूडेंट्स का हाल जाना कि आज के युवा निगम चुनाव के बारे में क्या सोचते हैं. वे किस तरह का प्रत्याशी चाहते हैं।
मेयर अच्छा और शिक्षित होना चाहिए। इसके अलावा मेयर को जनता की समस्याओं को सुनना एवं उसका निवारण करना आना चाहिए। मेयर ऐसा हो जो जीतने के बाद घर न बैठे। साथ ही वह शीर्ष नेताओं की आवभगत वाला ही हो।

- राहुल सिंह, छात्र।
मेयर जाति, धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर काम कराए। सड़कों में इतने गड्ढे हैं कि आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं इसलिए मेयर को सड़कों को दुरस्त कराने पर भी ध्यान देना चाहिए।

- सत्यम वर्मा, छात्र।
बाजारों में इतनी गंदगी है और सफाई व्यवस्था बेहाल है। साथ ही आवारा पशु और कुत्ते शहर की बड़ी समस्या बन चुके हैं, तो मेयर ऐसा हो जो आवारा पशुओं की समस्याओ को भी दूर कर सके।

- विवेक पाण्डेय, छात्र।
मैं पाण्डेयपुर से आता हूं और मेरे मोहल्ले से लेकर कॉलेज तक जहां देखो वहां कूड़े का ढेर पड़ा रहता है। इसलिए मेयर ऐसा हो जो स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे।

- शिवांश तिवारी, छात्र।
मेयर जो भी बने, उस तक जनता की सीधी पहुंच होनी चाहिए। मेयर आसानी से जनता के लिए उपलब्ध होना चाहिए। नेता ऐसा हो जो सबकी परेशानी सुन सके उनकी परेशानियों को हल कराए।

- प्रज्ञा सिंह, छात्रा।
मेयर का सबसे पहला गुण ये हो कि वह निष्पक्ष होना चाहिए। वह अपराधी और भ्रष्टाचारी न हो और अपने कार्यों को पारदर्शिता के साथ करे। साथ ही साथ उसे सफाई, यातायात ठीक करना, पानी, नाली सफाई जैसी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए।

- राहुल यादव, छात्र।
वाराणसी का मेयर ऐसा हो जो हर क्षेत्र की जनता की बात सुने। अगर कोई नागरिक अपनी समस्या लेकर उनके कार्यालय पहुंचे तो प्राथमिकता देकर उनकी समस्याएं सुने और उस समस्याओं का जल्दी निस्तारण करें। वाराणसी का मेयर होना अपने में ही एक बड़ी बात है। यह बड़ी बात इसलिए भी है क्योंकि यह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र है।

- श्वेताभ सिंह, छात्र।
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निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। हालांकि अभी चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। लेकिन विभिन्न पार्टियों में संभावित प्रत्याशियों की दावेदारी की कवायद परवान चढ़ रही है। भारतीय लोकतंत्र में उम्मीदवारों का चयन पार्टियों द्वारा होता है। वो जिसे टिकट देती है, वही चुनावी जुंग में ताल ठोकते हैं। पार्टियों के चयन का अपना पैमाना होता है, उनकी तवज्जो सिर्फ जिताऊ कैंडिडेट पर होती है। इस प्रक्रिया में मतदाता की राय कोई मायने नहीं रखती। मेयर प्रत्याशी के गुण दोष को लेकर लोग क्या सोचते हैं? इसे सामने लाने के मकसद से जन्संदेश टाइम्स ने ‘अपना मेयर कैसा हो?’ श्रृंखला शुरू की है।
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