बाबा कालभैरव {Baba KalBhairav} का जन्मोत्सव मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार अष्टमी तिथि 4 दिसम्बर सोमवार की रात्रि 10.00 बजे लगेगी जो कि 5 दिसम्बर मंगलवार की अर्धरात्रि 12.38 मिनट तक रहेगी। प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. विमल जैन के मुताबिक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र 4 दिसम्बर सोमवार की अर्धरात्रि 12.35 मिनट से 5 दिसम्बर मंगलवार को देररात्रि 3.38 मिनट तक रहेगी। 5 दिसम्बर मंगलवार को प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि का मान होने से कालभैरव अष्टमी (प्राकट्य महोत्सव) मनाया जायेगा।
धार्मिक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवाधिदेव महादेव कालभैरव {Baba KalBhairav} के रूप में अवतरित हुए थे। भगवान शिव के दो स्वरूप माने गये हैं। जिसमें पहला स्वरूप भक्तों को अभय प्रदान करने वाले विशेश्वर के रूप तथा दूसरे स्वरूप के रूप में दंड देने वाले कालभैरव के स्वरूप में समस्त दुष्टों का संहार करते हैं। भगवान शिव का स्वरूप सौम्य व शांति का प्रतीक है जबकि भैरव का स्वरूप अत्यन्त रौद्र प्रचंड है। इसलिए इन्हें साक्षात भगवान शिव का स्वरूप मानते हैं।
कालभैरव जन्मोत्सव {Baba KalBhairav} पर इस दिन दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद पंचोपचार व षोडषोपचार बाबा कालभैरव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए। बाबा कालभैरव को इस दिन उड़द के दाल के बने बड़े व इमरती के साथ अन्य मिष्ठान्न अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही ऊंश्री भैरवा:य नम: का जप करना श्रेयस्कर है। इस मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। इस दिन काल•ौरव बाबा की सवारी श्वान को दूध व मिष्ठान्न खिलाना चाहिए।
Baba KalBhairav : काशी में विराजमान हैं अष्टभैरव
1-चन्द्रभैरव (दुर्गाकुंड),2- रूद्र भैरव (हनुमानघाट), 3- क्रोधन भैरव (कमच्छा कामाख्या देवी मंदिर के अंदर), 4-उन्मत्त भैरव (बटुक भैरव मंदिर), 5-भाषण भैरव(भात भैरव नखास), 6-असितांग भैरव (दारानगर), 7- कपाल भैरव (लाटभैरव),8- संहार भैरव (गायघाट) हैं। कालभैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है।