Varanasi: भेलूपुर थाना क्षेत्र में बुधवार को भाजपा जनसंपर्क कार्यालय के बाहर ई-रिक्शा चालकों ने अपनी गाड़ियों की चाबियां सौंपने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही गुरुधाम चौराहे पर रोक लिया। इस दौरान डीसीपी काशी जोन, सभी एसीपी, सीओ, पीएसी और अन्य पुलिस बल मौके पर तैनात थे। बड़ी संख्या में जुटे ई-रिक्शा चालकों को रोकने के बाद उन्होंने जोरदार धरना प्रदर्शन किया।
चालकों ने अपनी आर्थिक और सामाजिक दुर्दशा का वर्णन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में ई-रिक्शा को रोजगार के रूप में बढ़ावा दिया गया था, लेकिन अब उनकी स्थिति गंभीर हो गई है। हर दिन ईएमआई, बैटरी चार्जिंग, और वाहन रखरखाव पर 500 रुपये से अधिक का खर्च होता है, जबकि उनकी बचत नाममात्र रह गई है। प्रस्तावित नए ई-रिक्शा मार्गों के कारण उनकी आय में और गिरावट का खतरा मंडरा रहा है।

चालकों ने बताया कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि हाल ही में एक ई-रिक्शा चालक, श्रीनाथ प्रजापति, ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी, और नगर आयुक्त से कई बार मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बल्कि, उनके हालात और बिगड़ सकते हैं।

Varanasi: चालकों ने 9 सूत्रीय मांगों का सौंपा ज्ञापन
धरने के बाद पुलिस अधिकारियों ने चालकों को शांत किया और उनकी 7 सदस्यीय टीम को प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय भेजा गया, जहां विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने उनसे मुलाकात की। विधायक ने उनकी समस्याओं को सुना और आश्वासन दिया कि अगले 24 घंटों में यातायात पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

ई-रिक्शा चालकों ने 9 सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने के लिए मजबूर होंगे। उनकी मांगों में प्रस्तावित ई-रिक्शा मार्गों की रद्दीकरण, चालकों के लिए प्रशिक्षण केंद्र, बैटरी सब्सिडी, और पुलिस एवं नगर निगम के उत्पीड़न को रोकने के सख्त उपाय शामिल हैं।