वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर छात्रों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। सोमवार को प्रवेश नियमों में बदलाव की मांग को लेकर परीक्षा नियंत्रक से दूसरी बार वार्ता विफल होने के बाद छात्रों ने कुलपति का पुतला जलाया और विरोध प्रदर्शन किया।
छात्रों का कहना है कि नई नीति केवल जेआरएफ उत्तीर्ण उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती है, जबकि यूजीसी नेट और ‘क्वालिफाइड फॉर पीएचडी’ श्रेणी के अभ्यर्थियों को प्रवेश प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण करार देते हुए इन श्रेणियों के उम्मीदवारों को भी नामांकन में शामिल करने की मांग की है।
सोमवार सुबह, छात्रों (BHU) का एक प्रतिनिधिमंडल परीक्षा नियंत्रक प्रो. एन. के. मिश्र से मिला और दो घंटे तक चर्चा की। इस दौरान तीखी बहस भी हुई। परीक्षा नियंत्रक ने छात्रों को बताया कि नियमावली में बदलाव का अधिकार उनके पास नहीं है, यह कार्य कुलपति का है। इस जवाब से नाराज छात्र केंद्रीय कार्यालय गए, लेकिन कुलपति की अनुपस्थिति ने उनके आक्रोश को और बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने कार्यालय के बाहर कुलपति का पुतला जलाया।
BHU छात्रों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- सभी श्रेणियों का समावेश: जेआरएफ के समान, यूजीसी नेट और ‘क्वालिफाइड फॉर पीएचडी’ उम्मीदवारों को भी साक्षात्कार में भाग लेने का अवसर दिया जाए।
- नेट उत्तीर्ण को छूट: नेट उत्तीर्ण उम्मीदवारों को छूट की श्रेणी में रखा जाए, और ‘क्वालिफाइड फॉर पीएचडी’ उम्मीदवारों का चयन आरईटी के तहत किया जाए।
- समान अंक निर्धारण: आरईटी में छूट और इंटरव्यू के अंक समान किए जाएं।
- समायोजन: बीएचयू (BHU) से एम.फिल पास और दिसंबर 2023 में नेट उत्तीर्ण उम्मीदवारों का इस प्रवेश प्रक्रिया में समायोजन किया जाए।
- विभागवार रिक्तियों की पारदर्शिता: सभी विभागों की रिक्त सीटों की सूची प्रकाशित की जाए और विभागीय मनमानी की जांच की जाए।
छात्र संघर्ष समिति के पदाधिकारी विवेकानंद ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो छात्र आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी मांगें बिल्कुल उचित हैं और हम विश्वविद्यालय प्रशासन से बार-बार चर्चा कर समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर हमारी मांगों को अनसुना किया गया, तो आंदोलन को और बढ़ाया जाएगा।”