प्रयागराज में आज, 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) की भव्य शुरुआत हो गई है। हिंदू धर्म का यह सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व 26 फरवरी तक चलेगा। हर 12 वर्षों में होने वाले इस महापर्व में देश-विदेश से लाखों-करोड़ों श्रद्धालु संगम नगरी में जुटते हैं। इस बार 144 वर्षों के दुर्लभ संयोग में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है।


पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी
पौष पूर्णिमा के अवसर पर महाकुंभ का आगाज आधी रात से ही हो गया। हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। अब तक 70 लाख से अधिक लोगों ने स्नान किया है। गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर श्रद्धालुओं (Prayagraj Mahakumbh) का उत्साह देखते ही बन रहा है।


दुर्लभ संयोग में शुरू हुआ Prayagraj Mahakumbh
इस महाकुंभ का पहला स्नान पौष पूर्णिमा की रात को शुरू हुआ। 45 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। संगम पर स्नान के साथ ही जप, तप, और ध्यान का माहौल बन गया है। देश विदेश के लाखों साधू-संतों (Prayagraj Mahakumbh) का जमावड़ा यहाँ देखने को मिलो रहा है। महाकुंभ 2025 में 183 देशों के श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए भव्य तैयारियां की हैं।



सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम
बात अगर सुरक्षा व्यवस्था की करें तो महाकुंभ के लिए संगम नगरी को 56 अस्थायी थानों और 15 लॉस्ट एंड फाउंड सेंटर से सुसज्जित किया गया है। 37 हजार प्रशिक्षित पुलिसकर्मी (Prayagraj Mahakumbh) हर प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैनात हैं। NSG-CRPF-PSC के जवानों के साथ साथ कई पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया है। 102 चेकिंग पॉइंट्स बनाये गये हैं। चप्पे चप्पे पर नजर राखी जा रही है ताकि कोई अप्रिय घटना ना घटित हो।


महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व
वहीं अगर महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) का ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो छठवीं शताब्दी के चीनी यात्री ह्वेनसांग के लेखों में इसके लिखित प्रमाण मिलते हैं। उनके अनुसार, सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में कुंभ मेले का आयोजन होता था। इससे पहले, ईसा से 400 वर्ष पूर्व यूनानी दूत ने भी ऐसे आयोजनों का उल्लेख किया है।



बताते चलें कि महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) में स्नान करने के बाद लोग दान-पुण्य भी कर रहे हैं। स्नान के बाद दान को विशेष फलदायक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। यहां यज्ञ, पूजा-अर्चना, और विशेष धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।


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