Varanasi: माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर काशी में श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ उमड़ पड़ी है। गंगा के घाटों पर लाखों की संख्या में भक्त स्नान कर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध और राजघाट तक श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

गंगा स्नान के बाद भक्त बाबा विश्वनाथ (Varanasi) के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं, जिससे मंदिर परिसर में करीब पांच किलोमीटर लंबी कतार लगी है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। गंगा घाटों और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात है, साथ ही ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
Varanasi: अपार उत्साह, आस्था का अद्भुत नजारा
काशी के घाटों पर उमड़े भक्तों का दृश्य अत्यंत अलौकिक है। श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव से गंगा का आचमन कर डुबकी लगा रहे हैं। ड्रोन से लिए गए दृश्यों में यह दिव्य नजारा और भी भव्य दिखाई पड़ रहा है। देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस महापर्व पर गंगा स्नान और बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं।

गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु एक-दो दिन पहले से ही काशी में पहुंचने लगे थे। बुधवार की भोर से ही गंगा तटों पर भक्तों का रेला उमड़ पड़ा। प्रशासन के अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष लगभग 20 लाख श्रद्धालु गंगा स्नान कर सकते हैं, और यह संख्या बढ़ने की संभावना है। स्नान के बाद भक्त घाटों (Varanasi) पर पुरोहितों को दान कर रहे हैं।
धार्मिक मान्यता और विशेष महत्व
माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान और दान करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। स्कंद पुराण में उल्लेखित है कि माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गाय, तिल, गुड़ और कंबल का दान करने से विशेष फल मिलता है।
काशी के प्रमुख घाटों—दशाश्वमेध, अस्सी, पंचगंगा, राजेंद्र प्रसाद घाट और मणिकर्णिका घाट—पर सबसे अधिक भीड़ देखी जा रही है। अस्सी घाट पर लाखों श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित कर चुके हैं। विदेशी श्रद्धालु भी इस पवित्र अवसर का लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे हैं। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान (Varanasi) का यह दिव्य नजारा काशी की आध्यात्मिकता और आस्था का जीवंत प्रमाण है। भक्तों के उत्साह और श्रद्धा को देखते हुए यह पर्व एक भव्य आध्यात्मिक आयोजन बन चुका है।