Sambhal: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष को झटका दिया है। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट के आधार पर मस्जिद की रंगाई-पुताई की अनुमति देने से इनकार कर दिया। ASI की तीन सदस्यीय टीम ने मस्जिद का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि मस्जिद की पेंटिंग अभी सही स्थिति में है और किसी भी प्रकार के सुधार कार्य की आवश्यकता नहीं है।
हाईकोर्ट ने इसके साथ ही ASI की देखरेख में मस्जिद की तत्काल सफाई कराने का आदेश दिया है। मस्जिद कमेटी को इस रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 4 मार्च तक का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।
Sambhal: रंगाई-पुताई के लिए दाखिल की गई थी याचिका
25 फरवरी को जामा मस्जिद कमेटी के वकील जाहिर असगर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में तर्क दिया गया कि हर साल रमजान से पहले मस्जिद की सफाई और रंगाई-पुताई की जाती है, लेकिन इस बार प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। प्रशासन का कहना था कि मस्जिद ASI के संरक्षण में है, इसलिए कोई भी बदलाव पुरातत्व विभाग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
याचिका पर 29 फरवरी को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मस्जिद की स्थिति का आकलन करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की, जिसमें मस्जिद के मुतवल्ली (प्रबंधक) और ASI के अधिकारी शामिल थे। कोर्ट ने इस टीम को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
ASI ने की मस्जिद की जांच, डेढ़ घंटे तक चला सर्वेक्षण
29 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर ASI की टीम ने संभल जामा मस्जिद का निरीक्षण किया। यह सर्वेक्षण लगभग डेढ़ घंटे तक चला, जिसमें ASI के जॉइंट डायरेक्टर मदन सिंह चौहान, डायरेक्टर जुल्फिकार अली और विनोद सिंह रावत शामिल थे। इस दौरान मस्जिद कमेटी की ओर से वकील जफर अली भी मौजूद रहे।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एएसपी (उत्तरी) श्रीश चंद्र, एसडीएम वंदना मिश्रा और सीओ अनुज चौधरी समेत पुलिस बल और PAC जवानों की तैनाती की गई। साथ ही, मस्जिद के आसपास बैरिकेडिंग कर सुरक्षा को मजबूत किया गया।
हिंदू पक्ष ने किया रंगाई-पुताई का विरोध
इस मामले में हिंदू पक्ष ने मस्जिद की रंगाई-पुताई का कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि इससे ऐतिहासिक प्रमाण नष्ट हो सकते हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थान पहले एक मंदिर था और मस्जिद में कोई भी बदलाव करने से मंदिर के अवशेषों को मिटाया जा सकता है।
मस्जिद कमेटी ने जिला प्रशासन और ASI को पत्र लिखकर रंगाई-पुताई की अनुमति मांगी थी, लेकिन डीएम ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि चूंकि यह मस्जिद ASI के संरक्षण में है, इसलिए कोई भी फैसला पुरातत्व विभाग ही लेगा।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिपोर्ट
इस विवाद से जुड़े एक अन्य मामले में यूपी सरकार ने तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में सरकार ने मस्जिद कमेटी के दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद के पास स्थित एक कुआं मस्जिद की संपत्ति है।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संभल की शाही जामा मस्जिद सरकारी जमीन पर बनाई गई थी और इसके पास स्थित कुआं भी सरकारी संपत्ति है। सरकार ने मस्जिद कमेटी पर गलत तस्वीरें पेश कर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
सरकार कर रही 19 कुओं का पुनरुद्धार
यूपी सरकार ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि संभल में 19 प्राचीन कुओं का पुनरुद्धार किया जा रहा है। सरकार के अनुसार, यह कुआं पहले सार्वजनिक संपत्ति था, जिसे सभी समुदायों के लोग इस्तेमाल करते थे।
Highlights
1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद इस कुएं के एक हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई थी। हालांकि, दूसरा हिस्सा 2012 तक उपयोग में था, लेकिन बाद में इसे ढक दिया गया। अब मस्जिद कमेटी इस कुएं पर अपना स्वामित्व साबित करने का प्रयास कर रही है।