वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में शोध प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का विरोध लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। सेंट्रल ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है और प्रशासन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
BHU: प्रशासन से वार्ता विफल, छात्र डटे रहे
पहले दिन छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच वार्ता हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। वार्ता विफल होने के बाद छात्रों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। दूसरे दिन छात्रों ने प्रशासनिक अधिकारियों का पुतला दहन किया और भूख हड़ताल की घोषणा कर दी। तीसरे दिन छात्रों ने प्रशासन के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन कर विश्वविद्यालय के अधिकारियों को चेताने का प्रयास किया।
अनियमितता पर लगातार ज्ञापन, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
छात्रों ने आरोप लगाया कि शोध प्रवेश परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हो रही हैं। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कई बार विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों को ज्ञापन और पत्र सौंपे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्रों का कहना है कि इस अन्यायपूर्ण प्रक्रिया के कारण उनका अकादमिक भविष्य खतरे में पड़ गया है।
अनुचित प्रवेश प्रक्रिया पर छात्रों की आपत्ति
भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने बताया कि सामाजिक विज्ञान संकाय के सामाजिक समावेशन नीति अध्ययन केंद्र में मुख्य विषय सोशल इनक्लूजन और सब लैटर्न स्टडीज था, जिससे कई छात्रों ने एमफिल किया था। नियमों के अनुसार, इस विषय के छात्रों को RET Exempted श्रेणी में सीधा इंटरव्यू देने का मौका मिलना चाहिए था। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अन्य एलाइड विषयों के छात्रों को भी इसी श्रेणी में इंटरव्यू देने की अनुमति दे दी, जो कि नियमों के विरुद्ध है।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप
भूख हड़ताल पर बैठे सत्यनारायण ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त है और निष्पक्ष प्रवेश सुनिश्चित करने में पूरी तरह असफल रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों पर पहले भी धांधली के आरोप लग चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, छात्र श्यामल कुमार ने कहा कि बीएचयू प्रशासन पारदर्शिता की जगह मनमाने तरीके से अपने चहेते उम्मीदवारों को प्रवेश दिलाने में लगा हुआ है।
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जब तक न्याय नहीं मिलेगा, जारी रहेगा अनशन
चार छात्रों ने आमरण अनशन की घोषणा करते हुए कहा कि वे तब तक न पानी पिएंगे और न ही भोजन करेंगे, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की इस नीति से सैकड़ों छात्रों का भविष्य अंधकार में जा सकता है, इसलिए वे इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेंगे।