Varanasi: वाराणसी में 19 वर्षीय युवती से दरिंदगी के मामले में अब तक 12 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। 23 दरिंदों से सात दिनों तक युवती को नशे और हैवानिय की भेंट चढ़ा दिया। हालांकि ये मामला सिर्फ गैंगरेप का नहीं, बल्कि एक संगठित सेक्स रैकेट का निकला। इस केस में सबसे बड़ी बात जो निकल कर सामने आई है, वह यह है कि इस रैकेट का सरगना अनमोल गुप्ता कभी सिगरा पर चाऊमीन का ठेला लगता था। महज दो साल में ही वह कॉन्टिनेंटल कैफ़े का मालिक बन बैठा।
बाहर से अत्यंत साधारण सा दिखने वाला यह कैफ़े अंदर से ड्रग्स, शराब और देह व्यापार का अड्डा बन चुका था। अनमोल ने ही 15 लड़कों का गैंग तैयार किया था। जो मासूम लड़कियों को फंसाकर, उन्हें नशा देते और जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलते थे। इस दौरान वह उन लड़कियों का रेप करके और वीडियो बनकर ब्लैकमेलिंग करते हुए उन्हें भेड़ियों के आगे परोस देते थे।

अनमोल गुप्ता, जो कभी सिगरा इलाके में चाऊमीन का ठेला लगाता था, अचानक दो साल में एक आलीशान कैफे – ‘कॉन्टिनेंटल कैफे’ – का मालिक बन गया। लेकिन यह कैफे बाहर से जितना मॉडर्न और स्टाइलिश दिखता था, अंदर से उतना ही गंदा खेल खेला जा रहा था। यह स्थान ड्रग्स, शराब और देह व्यापार का अड्डा बन चुका था, जहाँ लड़कियों को फँसाकर नशा दिया जाता और फिर उनके साथ गैंगरेप कर वीडियो बनाए जाते।
अनमोल ने इस काम के लिए एक 15 सदस्यीय गिरोह तैयार किया था। हर सदस्य को एक विशेष भूमिका दी गई थी। सोहेल, जो खुद एलएलबी का छात्र था और नशे का आदी था, उसको उसने अपना दायां हाथ बना लिया था। वहीं, राज विश्वकर्मा, जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, न सिर्फ रेप में शामिल था, बल्कि ड्रग्स सप्लाई भी करता था। साजिद लड़कियों को फँसाने का जिम्मा संभालता था, जबकि आयुष स्कूल और कॉलेज की छात्राओं को कैफे तक लाने में माहिर था।
Varanasi: गैंग बनाकर शातिरों ने वारदात को दिया था अंजाम
तनवीर उर्फ समीर, जो पेशे से कार मैकेनिक था, नशे की लत के चलते ग्राहक लाने का एजेंट बन गया था। इमरान, जो अभी इंटर में पढ़ रहा था, वीडियो बनाने और ब्लैकमेलिंग का काम करता था। दानिश सोशल मीडिया पर कैफे का प्रचार करता और उसका मोबाइल फोन सैकड़ों रेप और सेक्स वीडियो से भरा हुआ मिला। शब्बीर आलम, जो दुकान में काम करता था, रात को इस गिरोह का हिस्सा बन जाता।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब पीड़िता इलाज के बाद होश में आई। पहले वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी, लेकिन जब होश आया, तो उसने अपनी माँ को आपबीती बताई। इसके बाद परिवार ने पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एफआईआर दर्ज कर 9 आरोपियों को दबोच लिया, जिनमें अनमोल, सोहेल, राज, साजिद, आयुष, तनवीर, इमरान, दानिश और शब्बीर शामिल थे। कुछ समय बाद अमन, जैब और समीर को भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन अब भी 11 आरोपी फरार हैं।
छात्रा के पिता ने मीडिया के सामने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि उनकी बेटी अब हर किसी से डरती है। उन्होंने सरकार और न्याय व्यवस्था से मांग की है कि सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि दोबारा कोई बेटी इस तरह की पीड़ा न सहे।
जांच में सामने आया कि यह रैकेट एक-दो दिन का नहीं, बल्कि लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से चलाया जा रहा था। हर सदस्य के पास एक निश्चित जिम्मेदारी थी और सब मिलकर इस अमानवीय कृत्य को अंजाम देते थे। अनमोल के गिरोह ने कई लड़कियों को निशाना बनाया होगा – इसका अंदेशा पुलिस को भी है, क्योंकि दानिश के मोबाइल में मिले कई अश्लील वीडियो इसी ओर इशारा करते हैं।
पुलिस का कहना है कि मामले की तह तक जाँच जारी है और सभी फरार आरोपियों की तलाश तेज़ कर दी गई है। साथ ही वीडियो में नजर आ रही अन्य पीड़िताओं की पहचान कर उन्हें भी न्याय दिलाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस अब साइबर फॉरेंसिक और मोबाइल डेटा की मदद से रैकेट के नेटवर्क का विस्तार पता करने में लगी है।
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