Varanasi: वाराणसी की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने चर्चित प्रमोद निगम हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के दो शार्पशूटरों को दोषी करार दिया है। अदालत ने दोनों अपराधियों—नंदलाल राय उर्फ बबलू लंगड़ और शेषनाथ शर्मा—को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 50-50 हजार रुपये का जुर्माना और अवैध हथियार रखने के आरोप में तीन-तीन साल की अतिरिक्त सजा व 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने मंगलवार को इस बहुचर्चित मामले में सख्त रुख अपनाते हुए दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25 के तहत दोषी पाया। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ताओं ने बेहद प्रभावी ढंग से बहस की, जिसमें अवधेश कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, विनय कुमार सिंह और ओंकार तिवारी शामिल रहे। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अनिल राय ने दलीलें पेश कीं, लेकिन अदालत ने अभियोजन की दलीलों को अधिक ठोस माना।
Varanasi: प्रमोद निगम की हत्या, एक आंदोलनकारी की निर्मम मौत
17 जनवरी 2017 की वह दोपहर वाराणसी के लिए खौफनाक साबित हुई, जब स्वच्छता अभियान के अग्रणी चेहरा और राष्ट्रीय फेरी-पटरी व्यवसायी संगठन के संस्थापक सचिव प्रमोद निगम की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नगर निगम द्वारा ‘स्वच्छता दूत’ के रूप में सम्मानित प्रमोद निगम भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे थे। राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी अहम भूमिका मानी जाती थी।
हत्या के बाद जब उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए निकाला गया, तो शहर में भारी तनाव का माहौल बन गया था। हुकुलगंज स्थित उनके घर से निकली शवयात्रा को चौकाघाट चौराहे से इंग्लिशिया लाइन की ओर ले जाने की कोशिश में हजारों फेरीवालों और ठेला व्यवसायियों की भीड़ जमा हो गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा और एसएसपी नितिन तिवारी ने भारी पुलिस बल के साथ स्थिति को नियंत्रित करते हुए शव को मणिकर्णिका घाट तक पहुंचाया।
अपराधियों का लंबा आपराधिक इतिहास
जिन दो अपराधियों को दोषी ठहराया गया है, उनका नाम पहले से ही कई गंभीर मामलों में दर्ज है। नंदलाल राय और शेषनाथ शर्मा पर हत्या, फिरौती, जमीन कब्जा, गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट जैसे कई मामलों में मुकदमे दर्ज हैं। अदालत ने इनकी आपराधिक प्रवृत्तियों को ध्यान में रखते हुए कठोर सजा सुनाई।
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परिवार की प्रतिक्रिया: यह सिर्फ इंसाफ नहीं, आंदोलन की जीत
प्रमोद निगम के बेटे और इस मामले के वादी अभिषेक निगम ने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह केवल उनके पिता को न्याय दिलाने वाला निर्णय नहीं है, बल्कि देशभर के करोड़ों फेरी-पटरी व्यवसायियों के सम्मान और संघर्ष की भी जीत है। उन्होंने मोदी-योगी सरकार और न्यायपालिका के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस फैसले से आम जनता का न्याय व्यवस्था में विश्वास और मजबूत हुआ है।