Varanasi: अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का अनुपम दृश्य देखने को मिला। अक्षय तृतीया दिन बाबा विश्वनाथ का गंगाजल से जलधारी अभिषेक किया गया, जो भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र रहा। काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भी अत्यंत मनोहारी श्रृंगार किया गया। इस दौरान मंदिर में भगवान विष्णु की विशेष आरती संपन्न हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और पुण्य लाभ अर्जित किया।

अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान शिव को गर्मी से राहत देने हेतु रजत जलधारी (चांदी की बनी जलधारा) के माध्यम से शीतल गंगाजल अभिषेक की परंपरा भी निभाई जा रही है। यह अभिषेक पूरे श्रावण मास तक नियमित रूप से किया जाएगा, जिससे बाबा विश्वनाथ को शीतलता प्रदान की जाती है।
‘कुंवरा’ स्थापना और सनातन संरक्षण की भावना
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (Varanasi) की ओर से मंदिर में ‘कुंवरा’ की परंपरागत स्थापना भी की गई है। यह विशेष संरचना शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक के लिए प्रयोग में लाई जाती है, जो शुद्धता, शीतलता और साधना का प्रतीक मानी जाती है। मंदिर प्रशासन ने इस अवसर पर सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

Varanasi: मणिकर्णिका कुंड के जल से हुआ विशेष अभिषेक
मंदिर (Varanasi) की मंगला आरती के समय भगवान विश्वनाथ का अभिषेक चक्र पुष्करणी मणिकर्णिका कुंड के जल से किया गया। विशेष रूप से 11 घड़ों में भरकर लाया गया यह जल भगवान को अर्पित किया गया। यह प्रक्रिया वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न हुई, जो इस तिथि की आध्यात्मिक महत्ता को और भी बढ़ा देती है।

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया का ज्योतिष में विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में होते हैं, जिससे इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य अक्षय फल प्रदान करता है। इसी कारण इस दिन का गंगा स्नान, दान और पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है।