Varanasi: धर्म और मोक्ष की नगरी काशी में अक्षय तृतीया के एक दिन बाद गुरुवार को मणिकर्णिका घाट स्थित पवित्र कुंड में स्नान की प्राचीन परंपरा का श्रद्धालुओं ने विधिवत निर्वहन किया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही कुंड में अक्षय पुण्य की कामना लिए डुबकी लगाते नज़र आए और मां मणिकर्णिका की भव्य प्रतिमा के दर्शन-पूजन में लीन हो गए। इसके बाद काशी की गलियों में मां मणिकर्णिका की पालकी यात्रा निकाली गई। जिसे देख श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर बुधवार की रात कुंड पर मां मणिकर्णिका की झांकी सजाई गई थी। फूलों और आभूषणों से सजे स्वरूप का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद गुरुवार को दिव्य वातावरण में भक्तों ने मां के समक्ष प्रार्थना, पूजन और स्नान कर अपनी श्रद्धा अर्पित की।

मणिकर्णिका कुंड के प्रधान पुरोहित पं. जयेंद्रनाथ दुबे ने बताया कि इस कुंड में साल में एक ही बार अक्षय तृतीया के बाद के दिन मां मणिकर्णिका की प्रतिमा को सुसज्जित कर कुंड के तट पर लाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुंड में स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है, जीवन के दोष मिटते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है। गुरुवार को भक्तों ने न केवल स्नान किया, बल्कि मां को छप्पन भोग भी अर्पित किया गया। यह स्नान और भोग की प्रक्रिया मां को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करने की भावना से की जाती है, जिससे उनके आशीर्वाद से जीवन में कभी क्षय न हो।

Varanasi: सुरक्षा के दृष्टिकोण से अलर्ट पर रहा प्रशासन
सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखा। श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन और स्नान का अवसर मिल सके, इसके लिए विशेष बैरिकेडिंग और मार्ग व्यवस्थाएं भी की गई थीं। पूजन संपन्न होने के बाद मां मणिकर्णिका की प्रतिमा को परंपरा के अनुसार पालकी में विराजित कर पुरोहित के आवास पर ले जाया गया। अब भक्तों को मां के दर्शन अगले वर्ष की अक्षय तृतीया पर ही प्राप्त होंगे, जब पुनः यह अनूठा धार्मिक आयोजन दोहराया जाएगा।