Baba Shivanand: योग और संयमित जीवनशैली की मिसाल बने पद्मश्री बाबा शिवानंद का 128 वर्ष की आयु में शनिवार की रात निधन हो गया। बीते तीन दिनों से वाराणसी स्थित बीएचयू अस्पताल में भर्ती शिवानंद बाबा ने रात 8:45 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही अस्पताल के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके अनुयायियों में शामिल थे और उनकी योग साधना से प्रभावित थे।

3 साल पहले पद्मश्री से हुए थे सम्मानित
साल 2022 में जब उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान हुआ, तब उनकी उम्र 125 वर्ष थी। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जब वे सादगीपूर्ण वस्त्रों—सफेद धोती और कुर्ता—में पहुंचे, तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम किया। मोदी ने भी सम्मानपूर्वक खड़े होकर उन्हें हाथ जोड़ प्रणाम किया। इसके बाद बाबा शिवानंद (Baba Shivanand) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नमन किया, और राष्ट्रपति ने उन्हें सहारा देकर मंच पर आमंत्रित किया। यह दृश्य पूरे देश को भावुक कर गया था
1896 में हुआ जन्म, बाल्यकाल में ही मिला गुरु का सान्निध्य
बाबा शिवानंद (Baba Shivanand) का जन्म 8 अगस्त 1896 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के श्रीहट्ट जिले (वर्तमान में बांग्लादेश) के हरिपुर गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। परिवार में माता-पिता और एक बड़ी बहन थीं। आर्थिक तंगी इतनी गंभीर थी कि उनके माता-पिता को भिक्षा मांगकर जीवन यापन करना पड़ता था। मात्र 4 वर्ष की आयु में ही उन्हें बाबा श्री ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया गया, जिन्होंने उनका पालन-पोषण किया और आध्यात्मिक शिक्षा दी। गुरु के संरक्षण में रहते हुए शिवानंद ने योग और तप का मार्ग अपनाया। धीरे-धीरे उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन योग साधना और जनसेवा को समर्पित कर दिया।

Baba Shivanand के लंबी उम्र का राज
बाबा शिवानंद ने अपनी असाधारण उम्र का श्रेय सादगीपूर्ण जीवनशैली को दिया। वे प्रतिदिन केवल आधा पेट भोजन करते थे, जिसमें उबला हुआ और सात्विक भोजन शामिल होता था। जीवनभर उन्होंने न एसी का उपयोग किया, न ही हीटर का सहारा लिया। जमीन पर चटाई बिछाकर सोना और सिरहाने लकड़ी का तकिया रखना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। हर सुबह कठिन योगाभ्यास करते थे।
एक बार नहीं, बल्कि कई बार हुए मेडिकल परीक्षणों में डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह स्वस्थ पाया। 2019 में कोलकाता और चेन्नई के अपोलो अस्पतालों में जब उनका विस्तृत चेकअप किया गया, तो उम्र के बावजूद वे किसी भी गंभीर बीमारी से मुक्त पाए गए।
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हरिश्चन्द्र घाट पर होगा अंतिम संस्कार
बाबा शिवानंद (Baba Shivanand) पिछले कई वर्षों से वाराणसी के दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीर नगर में रहते थे। उनकी लोकप्रियता स्थानीय स्तर पर ही नहीं, देशभर में फैली थी। उनके निधन के बाद बीएचयू अस्पताल के बाहर हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए जमा हो गए। रविवार को उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा।
बाबा शिवानंद (Baba Shivanand) की जीवन गाथा भारत की सनातन परंपरा, योग, और संयम की ताकत का जीवंत प्रमाण है। एक युग का अंत तो हुआ है, लेकिन उनके आदर्श और जीवनशैली आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।