बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पर्यावरण विज्ञान विभाग की शोध छात्रा नाजुक भसीन की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। घटना के दो दिन बाद भी मौत के कारणों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। फॉरेंसिक विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट भी निष्कर्षहीन रही, जिसके चलते मृतका का बिसरा लखनऊ की प्रयोगशाला में भेजा गया है। रिपोर्ट एक सप्ताह में आने की संभावना है।
इस मामले को लेकर NSUI और विभिन्न विभागों के छात्रों ने BHU प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने BHU के कुलसचिव से मिलकर ज्ञापन सौंपा, जिसमें नाजुक की मौत के लिए विश्वविद्यालय के छात्र संकुल और ट्रॉमा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में कार्यरत चिकित्सकों को जिम्मेदार ठहराया गया।
BHU: जांच समिति की मांग
छात्रों ने ज्ञापन के माध्यम से मेडिकल फैकल्टी के प्रोफेसरों की निगरानी में एक संयुक्त जांच समिति गठित करने की मांग की है। साथ ही दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य सुविधाओं के व्यापक सुधार की भी अपील की गई है।
छात्रों ने उठाए ये प्रमुख सवाल
- इमरजेंसी के इंचार्ज यह स्पष्ट करें कि गंभीर लक्षणों के बावजूद नाजुक को मेडिसिन वार्ड में रेफर क्यों नहीं किया गया।
- मृतका की हॉस्टल की सहपाठी छात्राओं को उसके परिजनों से मिलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही?
- BHU में ICU/CCU जैसी प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं छात्रों के लिए अभी तक क्यों उपलब्ध नहीं कराई गईं?
- डॉक्टरों का रवैया छात्रों के साथ अक्सर रूखा और गैर-जिम्मेदाराना क्यों रहता है? क्या छात्रों की मेडिकल हिस्ट्री समझे बिना दवाएं लिख देना नियमित अभ्यास बन गया है?
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस गंभीर मामले में टालमटोल कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द निष्पक्ष जांच और आवश्यक सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।