Varanasi: मॉरीशस के प्रधानमंत्री डा. नवीनचंद्र रामगुलाम के हाल के काशी दौरे के बाद वाराणसी में एक नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। उनके तीन दिवसीय दौरे के लिए शहर की सड़कों को दुल्हन की तरह सजाया गया था, जिसमें सड़क डिवाइडरों पर काशी के मंदिर और शिवालय के चित्र बनाए गए थे। लेकिन, पीएम के काशी से रवाना होने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता किशन दीक्षित ने लहुराबीर से मैदागिन जाने वाले मार्ग पर बने इन चित्रों को पेंट कर मिटा दिया, जिससे चर्चा गरम है।

Varanasi: सपा ने कहा- यह सनातन धर्म की गरिमा पर चोट
समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश महासचिव और शहर दक्षिणी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी किशन दीक्षित ने बताया कि उन्होंने यह कदम आस्था की रक्षा के लिए उठाया। उनका कहना है, “डिवाइडरों (Varanasi) पर बने मंदिर और शिवालय के चित्र धूल-मिट्टी, वाहनों के धुएं, पशुओं के मल-मूत्र और पान की पीक से अपमानित हो रहे थे। यह सनातन धर्म की गरिमा पर चोट थी। इन चित्रों को मिटाना जरूरी था ताकि आस्था का अपमान न हो।”


किशन दीक्षित ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म किसी पार्टी की जागीर नहीं, यह अनादि काल से चली आ रही आस्था है। जो पार्टी खुद को ‘धर्मरक्षक’ कहती है, उसी के शासन में काशी (Varanasi) की आस्था को सड़कों पर अपमान के लिए छोड़ दिया गया। क्या भाजपा नेताओं को यह दिखाई नहीं देता, या उनकी आंखें सिर्फ ‘चुनावी चश्मे’ से देखती हैं?”

इस घटना ने वाराणसी (Varanasi) में सियासी माहौल को गरमा दिया है। जहां कुछ लोग सपा नेता किशन दीक्षित के कदम को आस्था की रक्षा के रूप में देख रहे हैं, वहीं अन्य इसे अनावश्यक कदम बता रहे हैं। इस मुद्दे पर सपा और भाजपा के बीच तीखी बयानबाजी की आशंका है। सपा नेता किशन दीक्षित के साथ राहुल गुप्ता, अशोक यादव ‘नायक’, राहुल यादव, पंकज जायसवाल, रोहित यादव, शुभम सिंह आदि ने विरोध जताया।