Varanasi: वाराणसी की कचहरी परिसर में उस समय हड़कंप मच गया, जब सेंट्रल बार एसोसिएशन के प्रबंध समिति सदस्य अधिवक्ता राहुल राज को अनुशासनहीनता के आरोप में तीन वर्ष के लिए बार की सदस्यता से निलंबित करने का फैसला विवादों के घेरे में आ गया। सोमवार को राहुल राज ने सैकड़ों अधिवक्ताओं के साथ डीएम पोर्टिको पर धरने पर बैठकर जोरदार विरोध जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निलंबन महज राजनीतिक द्वेष और जातिगत मानसिकता का नतीजा है, न कि किसी वास्तविक गलती का। धरने में शामिल वकीलों ने चेतावनी दी कि अगर बार एसोसिएशन ने अपना फैसला वापस नहीं लिया, तो पूरे कचहरी परिसर में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा, जिससे न्यायिक कार्य ठप हो सकता है।
ADGC मनोज गुप्ता से कहा–सुनी, फिर महामंत्री का ‘लात–घूंसे‘
राहुल राज ने धरने के दौरान मीडिया से बातचीत में पूरी घटना का विस्तार से खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 7 नवंबर 2025 को दोपहर करीब 2-3 बजे की बात है। उनके जूनियर अधिवक्ता साथी ने ADJ/FTC फर्स्ट कोर्ट में एक जमानत याचिका दाखिल की थी। इसी दौरान ADGC (Varanasi) (अतिरिक्त जिला शासकीय अधिवक्ता) मनोज गुप्ता ने जूनियर वकील से पैसे की मांग की, जिस पर दोनों के बीच तीखी कहा-सुनी हो गई।
राहुल राज ने कहा, “मैं अपने जूनियर साथी के साथ राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता भवन के पास से गुजर रहा था। तभी मनोज गुप्ता से सामना हो गया। मैंने बड़े विनम्रता से प्रणाम किया और कहा – ‘हम सभी आपके अनुज हैं, कृपया छोटे भाइयों की सुन लिया करिए और जहां संभव हो, मदद कर दिया करिए।’ इतने में ही एक अज्ञात वरिष्ठ अधिवक्ता (जिन्हें मैं न जानता हूं, न मेरा कोई रिश्ता है) ने ADGC (Varanasi) पर हाथ छोड़ दिया। मैंने बीच-बचाव करना शुरू किया, ताकि मामला बढ़े नहीं। लेकिन तभी अधिवक्ता जुटने लगे और सेंट्रल बार के महामंत्री राजेश गुप्ता मौके पर पहुंच गए।”

राहुल राज के अनुसार, महामंत्री ने उनके एक साथी को लात-घूंसे मारते हुए जातिसूचक गालियां दीं। उन्होंने दावा किया, “यह पूरा दृश्य घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है। मैं जो बता रहा हूं, वही सत्य है। लेकिन महामंत्री जी ने जातिगत मानसिकता और पद के दुरुपयोग से बिना किसी जांच के, बिना मेरा पक्ष सुने, आनन-फानन में आम सभा बुला ली। सभा में सिर्फ उनके अपने समूह के लोग थे, और राजनीतिक द्वेष से मुझे तीन साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।”
Varanasi नियमों की धज्जियां: ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन
राहुल राज ने सवाल उठाया कि क्या प्रबंध समिति के सदस्य पर कार्रवाई के लिए नियमों का पालन हुआ? उन्होंने कहा, “नियम कहता है कि किसी कार्यकारी सदस्य पर एक्शन लेने से पहले लिखित, मौखिक या टेलीफोनिक नोटिस देना जरूरी है। क्या दिया गया? क्या मुझे आम सभा में अपना पक्ष रखने का मौका मिला? सभी नियम ताक पर रखकर, सिर्फ स्वजातीय भाई के पक्ष में यह फैसला लिया गया। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।”

उन्होंने चुनौती दी, “मैं वचनबद्ध हूं – सीसीटीवी फुटेज देख लीजिए, मामला श्वेत की तरह साफ हो जाएगा। अगर मेरी कोई भूमिका साबित हुई, तो मैं (Varanasi) कचहरी परिसर छोड़ दूंगा और सभी कार्यों से मुक्त हो जाऊंगा।” राहुल राज ने याद दिलाया कि पहले भी कचहरी में अधिवक्ताओं के बीच मारपीट, गाली-गलौज की गंभीर घटनाएं हुईं, लेकिन कभी तत्काल सजा नहीं सुनाई गई। “क्या बिना सूचना के, एकतरफा सभा से साजिशन निष्कासन न्यायसंगत है?”
छवि धूमिल करने की साजिश: ‘मैं आंदोलनकारी हूं, अपराधी नहीं
धरने में राहुल राज ने अपनी छवि पर लगाए जा रहे दागों का पुरजोर खंडन किया। उन्होंने कहा, “कुछ जातिगत द्वेष रखने वाले लोग मुझे अपराधी बता रहे हैं। सच्चाई यह है कि मैं छात्र राजनीति (Varanasi) से जुड़ा रहा हूं। आमजन की लड़ाई सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ी है। मेरे ऊपर आंदोलनों के मुकदमे हैं, न कि हत्या, लूट, अपहरण या रंगदारी के। न्यायालय में भी सजा के बाद ही किसी को अपराधी घोषित किया जाता है, मुझे किसी मुकदमे में सजा नहीं हुई।”

दिलचस्प बात यह कि राहुल राज ने खुद पर हुए हमले का जिक्र किया। “2021 में मुझे गोली मारी गई थी। क्या गोली खाने वाला व्यक्ति अपराधी होता है?” उन्होंने सभी अधिवक्ताओं, वरिष्ठों, पूर्व-पदाधिकारियों, (Varanasi) DGC और ADGC से अपील की कि सच्चाई जांचें।
राहुल राज कौन हैं? शिक्षा से लेकर खेल तक की चमकदार उपलब्धियां
राहुल राज कोई साधारण अधिवक्ता नहीं हैं। उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता गिनाई: काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय (Varanasi) से BA, MA, LLB और B.Ed की डिग्री। इसके अलावा, अमेरिका की प्रतिष्ठित बॉस्टन यूनिवर्सिटी से सामाजिक न्याय के क्षेत्र में डॉक्टरेट (PhD) की उपाधि। खेलकूद में भी कमाल: 2023 जिला ओलंपिक गेम्स में शूटिंग पिस्टल ओपन कैटेगरी में दूसरा स्थान, और ‘रुस्तम-ए-यूपी’ रेसलिंग में भी सिल्वर मेडल।
आगे क्या? आंदोलन की आहट, कचहरी पर छाया तनाव
धरने में शामिल निखिल त्रिपाठी, विकास चौहान, विकास यादव, प्रमोद मौर्या, हर्ष सोनकर, विजेंद्र गुप्ता, सूर्य कन्नौजिया, सुमंत त्रिपाठी, शुभम त्रिपाठी, अमन कुमार गुप्ता सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं ने एक स्वर में मांग की कि बार एसोसिएशन फैसला वापस ले और निष्पक्ष जांच करे। अगर नहीं, तो बड़ा आंदोलन होगा। कचहरी परिसर में तनाव का माहौल है, और यह मामला अब राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है। क्या सेंट्रल बार एसोसिएशन (Varanasi) झुकेगी, या वकीलों का गुस्सा फूट पड़ेगा? आने वाले दिन बताएंगे। फिलहाल, सीसीटीवी फुटेज ही इस विवाद की कुंजी बन चुकी है।

