टीएमसी (TMC) के विधायक के एक ऐलान ने पुरे देश में नया मुद्दा छेड़ दिया है। इस ऐलान के चलते राजनीति सियासत गर्म होने के साथ-साथ संतों की भी नाराजगी सामने आ रही है। दरअसल, पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में 6 दिसंबर को नई बाबरी मस्जिद बनाने का एलन किया है। उन्होंने कहा कि इसे बनाने में 3 साल का वक़्त लगेगा, जिसमें विभिन्न मुस्लिम नेता भी शामिल होंगे। इस एलन के बाद राजनीति में खलबली मच गया है। राजनेताओं के अलावा अयोध्या के संतो ने भी इसकी आलोचना की है और अपनी-अपनी प्रतिक्रया दी है।
BJP ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति किया करार
विधायक हुमायूँ कबीर ने कहा है कि 6 दिसंबर को कला दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह मस्जिद उनके समुदाय के भावनाओं के सम्मान को प्रदर्शित करेगी क्योंकि पश्चिम बंगाल (TMC) में मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा निवास करता है। ऐसा ऐलान हुमायूँ ने पहले भी (2024) किया था। इस घोषणा के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है।

वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “यह मुर्शिदाबाद के वही विधायक हैं जो दंगों और दंगाइयों का समर्थन करते हैं, और अब ये हिन्दुओं के खिलाफ नई पटकथा लिखा जा रहा है। हम माँ भारती की पावन भूमि पर बाबरी नाम की कोई भी संरचना नहीं बनने देंगे।
वहीं दिल्ली के महासचिव सुरेंद्र गुप्ता कहते हैं, “मुझे लगता है कि भारत के सभी मुसलमान इससे सहमत नहीं होंगे, क्योंकि भारत में ज़्यादातर मुसलमान जानते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे। लेकिन कुछ लोग अब भी बाबर को ही अपना पूर्वज मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए ज़मीन का एक बड़ा टुकड़ा पहले ही आवंटित कर दिया है। हालाँकि, इसका निर्माण अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है।
TMC के इस ऐलान पर संतों ने दी तीखी प्रतिक्रया
इसी के साथ ही जहाँ एक तरफ टीएमसी (TMC)के इस ऐलान से राजनीतिक सियासत छिड़ गयी है तो दूसरी तरफ अयोध्या के संतों में भी इस मामले को लेकर तीखी नाराज़गी देखने को मिल रही है। संत समाज ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर बंगाल में बाबरी मस्जिद बना तो वो ममता के खिलाफ बड़ा आन्दोलन करेगें।
संतों का यह भी कहना है कि ‘बाबरी’ नाम स्वीकार्य नहीं है और टीएमसी (TMC) के इस तरह की घोषणा पुराने विवादों को दोबारा उभारने का प्रयास है। चुनावी वर्ष में इस तरह के कदमों की मंशा की जांच आवश्यक है। संत समाज ने केंद्र सरकार से इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की है और कहा है कि कार्यक्रम के लिए फंडिंग और जुटाई जाने वाली भीड़ कहां से आ रही है। इस मामले की पड़ताल करें और यदि किसी प्रकार का नियम-विरुद्ध कदम पाया जाए तो कार्रवाई की जाए।
बाबरी मस्जिद के मुद्दे की आलोचना करते हुए संत समाज ने आगे कहा कि न तो अब मुगल सल्तनत बची है और न औरंगज़ेब का दौर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि हुमायूँ कबीर ने बाबरी विवाद को दुबारा ऊठाया तो ममता बनर्जी की सत्ता भी खतरे में पड़ सकती है।

