भारत में सुप्रीम कोर्ट के मुख्या न्ययाधीश (CJI) में रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने आज शपथ ली है। यह देश के 53 वें बने हैं। इस दौरान राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू के साथ जस्टिस सूर्यकांत ने शपत ली।साथ ही उन्होंने समारोह में आए हुए अपने परिवार जन व अपने भाई-बहन के पैर छु उनका आशीर्वाद भी लिया।
पीएम मोदी से की मुलाकात
आपको बतादें कि समारोह के दौरान CJI सूर्यकांत ने शपथ ली उसके बाद वह माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत वहां मौजूद अन्य लोगों से भी मुलाकात की। वहीं इसमें शामिल होने ब्राज़ील के मुख्या न्यायाधीश समेत कई देशों के न्यायाधीश व सुप्रीम कोर्ट के जज भी शामिल हुए। गौरतलब है की भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी CJI शपथ ग्रहण समारोह में अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही हैं। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हुए हैं।

14 महीने का होगा कार्यकाल
दरअसल, अब वर्तमान CJI बीआर गवई का कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हो गया हैं। जिसे लेकर अब उनके बाद वह पद जस्टिस सूर्यकांत की जिम्मेदारी में संभाला जायेगा। वहीं जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।
बतातें चलें कि,जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार थे। मां शशि देवी गृहणी थीं। तो वही बड़े भाई ऋषिकांत सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, दूसरे भाई शिवकांत डॉक्टर और तीसरे देवकांत आईटीआई से रिटायर्ड हैं। बहन कमला देवी सबसे बड़ी हैं।भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत के विवाह की बात चली तो उन्होंने कहा था दहेज में एक चम्मच भी नहीं लूंगा। विवाह 1987 में जींद की सविता शर्मा से हुआ।
1000 से ज्यदा फैसलों में शामिल हुए
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस CJI सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा भी रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच का हिस्सा थे जिसने 2017 में बलात्कार के मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर जेल में हुई हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह से साफ करने का आदेश दिया था।
जस्टिस सूर्यकांत सात जजों की बेंच में शामिल थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैसले को खारिज कर दिया था। यूनिवर्सिटी के संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था।

वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा थे, जिसने गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट का एक पैनल बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में खुली छूट नहीं मिल सकती।
SIR मामले में भी की सुनवाई
वहीं जस्टिस CJI सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए।

