- Credit Line होगा डिजिटल, के्रडिट कार्ड की तरह मिलेगा कर्ज
- UPI के जरिए किया जा सकेगा इसका इस्तेमाल, होगी सुविधा
जितेंद्र श्रीवास्तव
वाराणसी। डिजिटल मोड से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने और सुविधा प्रदान करने की खातिर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक नयी व्यवस्था शुरू की है। यह व्यवस्था है-‘के्रडिट लाइन’ की। के्रडिट लाइन पूरी तरह डिजिटल होगा और यह के्रडिट कार्ड की भांति आपको सुविधा प्रदान करेगा। कहने का आशय यह कि बैंक खाते में पैसा न होने पर भी जिस तरह के्रडिट कार्ड पर आप खरीदारी कर सकते हैं। ठीक उसी तरह के्रडिट लाइन से भी आप खरीदारी कर सकेंगे। आसान शब्दों में आप यह जान सकते हैं कि के्रडिट कार्ड की तरह के्रडिट लाइन पर आपको कर्ज मिलेगा। यूपीआई के माध्यम से इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो फोन पे, गूगल पे, पेटीएम जैसे इंस्टेंट पेमेंट ऐप का लोग इस्तेमाल करते हैं। ये सभी ऐप्स यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) पर आधारित होते हैं। यूपीआई के जरिए अब लोग 10-10 रुपये के भुगतान तक करने लगे हैं। वाहन में पेट्रोल या डीजल भरवाना हो या फिर रोजमर्रा के सामानों की खरीदारी करनी हो, यूपीआई पेमेंट हर जगह स्वीकृत है। ग्राहक भी जेब में छुट्टा पैसा रखने की बजाय सीधा यूपीआई से पेमेंट करना आसान समझने लगे हैं। कोविड-19 आने के बाद लोगों ने डिजिटल पेमेंट को अपनाया और 2022 के अंत तक यूपीआई से होने वाली ट्रांजेक्शन काफी बढ़ गर्इं।
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो बीते दिनों आरबीआई ने यूपीआई यूजर्स के लिए के्रडिट लाइन जैसे बड़ी सुविधा को लांच किया। आरबीआई ने कहा है कि यदि आपके अकाउंट में पैसा नहीं भी हो, तो भी आपको क्रेडिट मिल जाएगा और आप भुगतान कर पाएंगे। बिलकुल वैसे ही, जैसे के्रडिट कार्ड से पेमेंट की जाती है। कहने का आशय यह कि अब आपका यूपीआई ही के्रडिट कार्ड की तरह काम करने लगेगा। आपको किसी से भी नकद उधार मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब आप बैंक खाते में पैसा न होने पर आसानी से खरीदारी कर सकेंगे। इसके लिए बैंक आपको उधार पैसा देगा। आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और यूपीआई जैसे विकल्पों को और आकर्षक बनाने के लिए यह व्यवस्था लागू की है।
बैंकों से पूर्व स्वीकृत राशि मिलेगी
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो अब यूपीआई पर भी यूजर्स को के्रडिट कार्ड जैसी सुविधा मिलेगी। बैंकों की ओर से यूजर्स को पूर्व स्वीकृत राशि दी जाएगी, जिसका इस्तेमाल खाते में पैसे न होने पर भी किया जा सकेगा। आरबीआई का मानना है कि देश में यूपीआई के जरिये लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है। इसे लोगों के बीच और पॉपुलर बनाने और यूजर्स को ज्यादा सुविधा दिलाने के लिए यह कदम उठाया गया है। जो यूजर्स पेटीएम, फोनपे या गूगलपे जैसे ऐप के जरिये यूपीआई भुगतान करते हैं, उन्हें अब प्री-अप्रूव्ड के्रडिट लाइन दी जाएगी। यह राशि बैंकों या वित्तीय संस्थान की ओर से तय होगी। इस राशि का इस्तेमाल यूजर्स तब भी कर सकेंगे, जबकि उनके खाते में पैसे नहीं होंगे। आरबीआई की इस पहल से इनोवेशन को और बढ़ावा मिलेगा।
क्या है Credit Line और कैसे काम करेगी
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो के्रडिट लाइन किसी यूजर्स के लिए बैंक की ओर से तय की गई वह लिमिट होगी, जिस राशि को यूजर खर्च कर पाएगा। बैंक और वित्तीय संस्थान यूजर की आमदनी और कर्ज चुकाने की क्षमता का आंकलन करके यह के्रडिट लाइन तैयार करेंगे। एक तरह से यूपीआई पर भी ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधा दी जाएगी। जहां कोई ग्राहक जरूरत पर इस राशि का इस्तेमाल करेगा और फिर ब्याज सहित इस रकम को वापस लौटा देगा। इसका मतलब साफ है कि इस सुविधा के एवज में बैंक आपसे कुछ ब्याज वसूलेंगे। बैंक हर ग्राहक की जोखिम क्षमता का आंकलन करके ही प्री-अप्रूव्ड के्रडिट लाइन तैयार कर सकेंगे।
ग्राहकों को कैसे होगा फायदा?
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो ग्राहकों को अलग-अलग कार्ड कैरी नहीं करना पड़ेगा। अपने मोबाइल से ही यूपीआई के जरिए पेमेंट कर सकेंगे। समय की बचत होगी। के्रडिट कार्ड बनने में थोड़ा समय लगता है। के्रडिट लाइन अप्रूवल के बाद तुरंत मिल जाएगी। पॉइंट-आॅफ-परचेज के्रडिट एक्सपीरियंस सीमलेस हो जाएगा। ये बीएनपीएल सेक्टर में ट्रांसफॉरमेशनल ग्रोथ ला सकता है।
2016 में हुई UPI की शुरूआत
बैंकिंग सूत्रों की मानें तो 2016 में यूपीआई की लांचिंग के साथ ही डिजिटल पेमेंट की दुनिया में एक क्रांति आ गई। यूपीआई ने सीधे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा दी। यूपीआई सिस्टम रियल टाइम फंड ट्रांसफर करता है। एक एप्लीकेशन में कई बैंक अकाउंट लिंक किए जा सकते हैं। किसी को पैसा •ोजने के लिए आपको सिर्फ उसके मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर या यूपीआई आईडी की जरूरत पड़ती है। यूपीआई से आॅनलाइन शॉपिंग करने के लिए ओटीपी, सीवीवी कोड, कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट आदि की जरूरत नहीं होती। इससे पहले डिजिटल वॉलेट का चलन था। वॉलेट में केवाईसी जैसी झंझट है, जबकि यूपीआई में ऐसा कुछ नहीं करना पड़ता। भारत में आरटीजीएस और नेफ्ट पेमेंट सिस्टम का आॅपरेशन आरबीआई के पास है। आईएमपीएस, रुपे, यूपीआई जैसे सिस्टम को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) आॅपरेट करती हैं।