- Aman Kabir न जाने कितने बेसहारों के सहारा बने हैं
- पिता ने पैरों में डलवा दी बेड़ियां, लेकिन नहीं थमा कार्य
- अनुकरणीय व्यक्तित्व
राधेश्याम कमल
वाराणसी। कबीर के शहर बनारस में एक ऐसा भी शख्स (Aman Kabir) है जो असहायों के लिए मसीहा बन कर आ जाता है। चाहे कोरोना का संक्रमण काल रहा हो या फिर कैंट स्टेशन के सामने का फ्लाईओवर के ध्वस्त होने की हृदय विदारक घटना रही हो या फिर कचहरी में बम ब्लास्ट (Bomb Blast) की भयावह वारदात रही हो हर मौकों पर अमन कबीर (Aman Kabir) ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा कर घायलों व असहायों की मदद की।
इस दौरान अमन कबीर (Aman Kabir) का जोश, जज्बा और जुनून देखते ही बनता है। उनके जोश, जज्बा, जुनून और समाज के प्रति सेवा कार्य को देखकर हर कोई दंग रह जाता है। 28 वर्षीय अमन कबीर (Aman Kabir) अब तक न जाने कितने बेसहारों का फरिश्ता बन कर सहायता कर चुके हैं।
अमन कबीर (Aman Kabir) के समाजसेवा (Social Work) का उनके पिता स्व. राजू यादव ने विरोध भी किया। यहां तक की उनके पैरों में बेड़ियां भी डलवा दी। लेकिन अमन के समाजसेवा (Social Work) के प्रति इतनी जबरदस्त लगन रही कि पिता की डाली गई बेड़ियां भी बहुत दिनों तक उनके पैरों को बांध नहीं सकी।

आखिरकार वह फिर से समाजसेवा (Social Work) में जुट गये। अमन अब तक 50 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। लोगों के लिए ब्लड की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने कोरोना काल में लोगों की बहुत ही मदद की। कोरोना काल में मौत के बाद लगभग 100 लोगों को अंतिम संस्कार के लिए ले गये। मूलत: बनारस के कोनिया (आदमपुर) क्षेत्र निवासी अमन कबीर (Aman Kabir) के परिवार में पिता के निधन के बाद उनकी मां छाया देवी और छोटा भाई अंकित यादव हैं। कहते हैं कि वह जो कुछ भी है वह बाबा मसाननाथ की कृपा है। उन पर उनकी मां का भी बहुत ही स्नेह है। अमन को न जाने कितने ढेरों सम्मान मिले। इसकी लंबी फेहरिस्त है।
महज 14 साल की उम्र से की समाजसेवा (Social Work) की शुरुआत
अमन कबीर (Aman Kabir) बताते हैं कि उन्होंने महज 14-15 साल की उम्र से समाजसेवा (Social Work) की शुरुआत की। उस समय 2009-10 में वे गंगा आंदोलन व अन्ना हजारे आंदोलन से जुड़े। आंदोलन के दौरान जब साधु-महात्मा मंडलीय अस्पताल (SSPG Hospital) में अनशन पर थे। उस समय एक विदेशी बीमार था। उसी की सेवा करते-करते वह अस्पताल में आये अन्य असहायों की भी सेवा करने लगे।

वे ऐसे लोगों की सेवा करते हैं जिनकी मदद करने वाला कोई भी नहीं रहता है। जो सड़कों पर कराहते व तड़पते दिखते हैं। ऐसे असहायों के बीच कोई फरिश्ता बन कर अमन कबीर (Aman Kabir) पहुंचते हैं और उसकी नि:शुल्क सेवा करके वहां से चले जाते हैं। लोगों को लगता है कि शायद भगवान उनकी मदद करने के लिए आ गया है। वे बताते हैं कि जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ते थे तभी कचहरी में बम ब्लास्ट (Bomb Blast) हुआ था। यह खबर सुनकर हम स्कूल से भाग कर कचहरी पहुंचे और जो भी हमसे संभव हो सका था उस समय लोगों की मदद की।
पहले साइकिल से पहुंच कर असहायों की करते थे सेवा
अमन कबीर (Aman Kabir) बताते हैं कि पहले तो हम घर से पैदल ही निकल कर समाज सेवा करते थे लेकिन बाद में साइकिल से आने-जाने लगे। इस बीच एक दोस्त ने उन्हें मोबाइल दिलवा दिया। सोशल मीडिया पर मेरे नाम की आईडी बन गई। दोस्तों ने सुझाव दिया कि सेवाओं की फोटो सोशल मीडिया पर डालो। इसके बाद सोशल मीडिया पर मेरे सेवा कार्यों की फोटो वायरल होने लगी। उनके सेवा कार्यों को देखते हुए गणेश यादव ने उन्हें तीन फोर व्हीलर एम्बुलेंस भी दिया जिससे कम पैसा लेकर वह मरीजों को ले आते हैं।

बाइक एम्बुलेंस से भी किया सेवा कार्य
मेरे समाजसेवा (Social Work) कार्य को देखते हुए पांडेयपुर निवासी राजीव वर्मा ने एक बाइक मुझे गिफ्ट में दिया। हमने इसे बाइक एम्बुलेंस बनाया और जहां भी किसी असहाय के सड़क पर पड़े रहने की खबर मिलती थी वहां पहुंच जाते थे। बाइक एम्बुलेंस में मेडिकल किट भी रहता था। वे बताते हैं कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त, बीमार, दुर्घटना में घायल असहायों की खोज-खोज कर नि:शुल्क मदद करते हैं।

19 राज्यों के 400 बिछड़े लोगों को परिवार से मिलाया
अमन कबीर (Aman Kabir) बताते हैं कि 19 राज्यों के तकरीबन 400 बिछड़े लोगों को उन्होंने परिवार से मिलाने का कार्य किया। इनमें गुजरात, अहमदाबाद, बड़ौदा, राजस्थान, सीकर, अजमेर, उत्तराखंड, हरिद्वार, झारखण्ड, गुमला, रांची, जमशेदपुर है।
सबसे ज्यादा बिहार व उत्तर प्रदेश के बिछड़े लोगों को परिवार से मिलाया। सोशल मीडिया पर उनकी फोटो व अपना नंबर वायरल करते थे। इससे उनके घर वालों को पता चल जाता था। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो घर से नाराज होकर निकल जाते हैं। मानसिक रूप से विक्षिप्त है उनको घर पहुंचाने का कार्य किया।

लावारिस व वारिस लोगों का भी कराते हैं अंतिम संस्कार
अमन कबीर (Aman Kabir) काशी में बहुत सारे असहायों का निधन हो जाता है। उनका अंतिम संस्कार हम कराते हैं। बहुत सारे ऐसे पारिवारिक लोग भी हैं जो आर्थिक रूप से अक्षम होने के कारण किसी का अंतिम संस्कार नहीं करा पाते हैं। ऐसे लोगों की भी हम एक रूपया मुहिम की आर्थिक मदद लेकर उनका अंतिम संस्कार कराते हैं। अब तक 100 लोगों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं।
इसमें उनके साथ मोनू बाबा, विजय यादव, विनय महादेव, आशीष राधे, हर्षित यादव आदि जुड़े रहते हैं। कैंसर जैसी बीमारी के लिए भी एक रूपया मुहिम के जरिये परिवार को मदद पहुंचाते हैं। 7-8 सालों में अब तक 100 परिवारों की आर्थिक मदद की। कहा कि जिन-जिन लोगों की मदद की वे स्वस्थ होकर घर लौटे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया कोरोना वारियर्स सम्मान
अमन कबीर (Aman Kabir) को उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वारियर्स सम्मान दिया। इसके अलावा उन्हें निवर्तमान पुलिस आयुक्त ए.सतीश गणेश, निवर्तमान कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने भी सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें दो बार परिवहन मंत्री व पीएम के भाई सोमदास मोदी ने भी सम्मानित किया।
