- अनूप जलोटा ने भजनों से सभी को किया रससिक्त
- नीलान्द्री कुमार का सितार वादन रहा सदाबहार
- संकटमोचन संगीत समोराह की पांचवीं निशा
- फोटो भी- अनूप जलोटा व नीलान्द्री कुमार
राधेश्याम कमल
वाराणसी। संकटमोचन संगीत समारोह की पांचवीं निशा में अर्धरात्रि में भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपनी बहुचर्चित भजन ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन से अपनी पारी शुरू की। अच्युतम केशवरम रामनारायणम…कौन कहता है भगवान आते नहीं…, मेरे मन में राम तन में राम…दुनिया चले न श्रीराम के बिना…,बजते बजते आज अचानक मेरी बंसी टूट गई…श्याम तेरी बंसी को बजने से काम…,जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा…इतना तो करना स्वामी जब प्राण तक से निकले…आदि गीतों-भजनों की झड़ी लगा दी। बीच बीच में चुटकुले भी सुनाते रहे। धारवाड से पधारे वरिष्ठ गायक पं. वेंकटेश कुमार ने राग कौशी कान्हडा में गायन कर मंदिर प्रागंण में मादकता सा छा दिया। इन्होंने इस राग में एक ताल व तीन ताल में बंदिशें गाने के पश्चात भजन पायोजी मैन राम रतन धन पायो के बाद एक टप्पा से गायन को विराम दिया।
समारोह में मंच पर दो दिग्गजों का महामिलन हुआ। सितार के महारथी कलाकार पं. नीलाद्री कुमार व तबले के जादूगर पं. कुमार बोस। नीलाद्री कुमार ने सितार पर राग जैजवन्ती में संक्षिप्त आलापचारी के पश्चात तीन ताल में विलम्बित मध्य व द्रुत गतकारी कर वादन को संक्षिप्त विराम दिया। अंत में इन्होंने श्रोताओं का पसंदीदा धुन से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। इनके साथ तबले पर पं. कुमार बोस लगातार युगलबंदी करते रहे।
चंडीगढ़ के डा. प्रभाकर-दिवाकर कश्यप ने राग ललित की अवतारणा की। विलंबित एक ताल में पवन पुत्र हनुमान पूरण कीजै सब काम के प्रभावी गायन के बाद झप ताल में मध्य लय में कृपा करो कपीश सुर, नर, मुनि ईश ने सुरों की साधना का परिचय दिया। एक ताल में द्रुत लय की रचना से अपने वादन को विराम दिया। धारवाड़ घराने के बहुमुखी प्रतिभा के धनी शिष्य अंकुश एन. नायक ने नायाब सितार वादन किया। उन्होंने राग बसंत मुखारी पूरी तन्मयता के साथ बजाया। मैहर घराने के वरिष्ठ कलाकार जोधपुर से आए पं. बसंत काबरा ने सरोद वादन कर आनंद की लहर का संचार किया। उनका सरोद वादन मास्टर क्लास ही रहा।