जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। पांच जजों ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस एस० के० कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
आर्टिकल 370 पर फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले वर्ष 2020 में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। तब कोर्ट ने कहा था कि हम मामला बड़ी संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं।
सीजेआई ने कहा कि आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। वहीँ कपिल सिब्बल ने कहा कि आप इसे हटाना तो दूर, इसमें संसोधन भी नहीं कर सकते। सिब्बल ने आगे कहा कि आप इसमें संशोधन नहीं कर सकते। आप संविधान सभा का स्थान नहीं ले सकते। जो आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, वह आप अप्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते।
Article 370 संविधान की संशोधन की शक्तियों से भी परे
CJI चंद्रचूड़ने पूछा कि आप कह रहे हैं कि संविधान का एक प्रावधान है, जो संविधान की संशोधन शक्तियों से भी परे है। तो हम मूल ढांचे से अलग एक नई कैटेगरी बना रहे हैं और अनुच्छेद 370 उसी के तहत आता है? इसपर सिब्बल ने जवाब दिया कि यह कोई नई कैटेगरी नहीं है। यह एक ऐसी कैटेगरी है, जो अस्तित्व में है।
जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या आप कह सकते हैं कि इसे (अनुच्छेद 370) बदलने की कोई व्यवस्था नहीं है, भले ही हर कोई इसे बदलना चाहता हो? आप कहना चाह रहे हैं कि पूरा कश्मीर चाहे तो भी इसे बदला नहीं जा सकता?जिसपर सिब्बल ने बताया कि अनुच्छेद 370 में संशोधन या बदलाव की कोई प्रक्रिया नहीं है।
कश्मीर में तीन परिवारो को छोड़ कर इस कुंठा भरी धारा को अन्य कोई नहीं चाहता।
देश द्रोहियों और दुश्मन देशों के लिए ब्रह्मास्त्र है ।
सामाजिक,आर्थिक व अन्य सभी प्रकार से विकास में बाधक है , कश्मीर में अस्थिरता का कारण है ।…