यूपी की आशा वर्कर्स यूनियन की आशाकर्मियों ने वाराणसी (Varanasi) में बुधवार को जमकर विरोध प्रदर्शन किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बहार 200 से अधिक आशा और संगिनी कर्मियों ने गहरा आक्रोश जताया और नारेबाजी भी की। सरकार की नीतियों और बकाया भुगतान पूरा न होने पर जताई नाराजगी। प्रदर्शन के दौरान पुलिस बल वहां तैनात रहा। वहीं आशाकर्मी सीएमओ से मिलकर ज्ञापन देने की बात पर अड़ी रहीं।
Varanasi:सरकार की गुलाम नहीं है आशा
आशावर्कर्स यूपी की उपाध्यक्ष संगीता गिरी ने कहा कि आशा और संगिनी कर्मियों ने वर्षों से स्वास्थ्य अभियानों का मुख्य आधार को संभाला है। लेकिन सरकार आशा को “मुफ़्त का गुलाम” समझती है। सरकार और अधिकारीयों का इसपर कोई गौर नही है। वाराणसी (Varanasi) में हो रहे प्रदर्शन के दौरान उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2025 के कई महीनों का आधार भुगतान,राज्य प्रदत्त,अनुतोष राशि,अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रोत्साहन राशि,राष्ट्रीय अभियानों में किए गए कार्यों का प्रतिफल लंबे समय से बकाया है।
आशा का 225 करोड़ रुपये के बराबर है योगदान
संगीता गिरी ने बताया कि प्रधानमंत्री के आरोग्य भारत योजना, गोल्डन आयुष्मान कार्ड और ABHA ID के कार्यों में आशा और संगिनी कर्मियों ने कुल 225 करोड़ रुपये के बराबर योगदान दिया है, लेकिन अब तक उन्हें एक रुपया भी नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्य के दौरान डीएम, सीएमओ और अन्य अफसरों (Varanasi) ने आशा कर्मियों पर अत्यधिक दबाव बनाया था।
संगीता ने कहा 20 हजार से अधिक आशाकर्मियों ने 6 अक्टूबर को लखनऊ में एक विशाल प्रदर्शन किया था और उस दौरान उन्होंने सरकार को चेतावनी भी दी थी कि सभी बकाया भुगतान तत्काल प्रभाव से खत्म की जाए और इसके साथ ही ईपीएफ, ग्रेच्युटी, ईएसआई और मातृत्व अवकाश भी आशाओं को दी जाए। वहीं उन्होंने जीवन और स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित करने की मांग रखी और काम की सीमा तय करने के लिए कहा। वहीं उनका यह भी कहना रहा है कि सरकार ने भुगतान भरने की जगह सिर्फ आंदोलनों को तोड़ने और डराने का प्रयास किया है।

