ASI Survey Media Coverage: ज्ञानवापी मामलें एएसआई सर्वे की लगातार जानकारी मीडिया को देने को लेकर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट से मांग किया था कि इस पर रोक लगाना चाहिए, इसपर सुनवाई कर कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, गुरुवार को जिला जज की अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में हो रहे सर्वे की प्रकृति संवेदनशील है। सर्वे के बारे में एएसआई टीम को, वादी या प्रतिवादी के अधिवक्ता को कोई टिप्पणी करने या कोई सूचना देने का अधिकार नहीं है।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के संबंध में एएसआई, वादी व प्रतिवादी के अधिवक्ताओं, जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) या अधिकारियों को कोई टिप्पणी करने या किसी को सूचना देने का अधिकार नहीं है।
ASI Survey Media Coverage: मीडिया पर की जा सकती है कार्रवाई
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई, वादी पक्ष और प्रतिवादी पक्ष के द्वारा कोई जानकारी न दिए जाने के बावजूद बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के संबंध में प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया गलत प्रकार से कोई समाचार प्रकाशित (ASI Survey Media Coverage) करता है तो उसके खिलाफ विधि के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में आवेदन देकर ज्ञानवापी सर्वे के संबंध में मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी।

अदालत का एएसआई को भी निर्देश
अदालत ने एएसआई के अधिकारियों को आदेश दिया कि वे सर्वे के संबंध में किसी भी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया को कोई जानकारी (ASI Survey Media Coverage) नहीं देंगे। सर्वे के संबंध में कोई जानकारी किसी अन्य व्यक्ति से भी नहीं साझा करेंगे और रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। जिला जज की अदालत ने कहा कि वाद के वादीगण व प्रतिवादीगण, उनके अधिवक्तागण, जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) और अन्य अधिकारियों को भी आदेशित किया जाता है कि सर्वे के संबंध में कोई जानकारी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ साझा न करें। न सर्वे से संबंधित किसी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। ताकि, रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष ही प्रस्तुत की जा सके।

मसाजिद कमेटी ने क्या कहा था
मसाजिद कमेटी का कहना था कि सर्वे को लेकर तथ्यों के विपरीत रिपोर्टिंग (ASI Survey Media Coverage) की जा रही है। मसाजिद कमेटी के आवेदन पत्र पर जिला जज की अदालत में बुधवार को बहस हुई। इसके बाद अदालत ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। गुरुवार को जिला जज की अदालत ने अपना आदेश सुना कर आवेदन पत्र का निस्तारण किया।