- राधेश्याम कमल
Astro News: मार्ग शीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस बार यह माह नवम्बर के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ होकर आगामी 26 दिसम्बर मंगलवार तक रहेगा। इस माह को अगहन मास भी कहा जाता है। इसके नियम व संयम प्रारंभ हो गये हैं। इस माह का प्रारंभ इस मास में भगवान विशेश्वर के स्वरूप में कालभैरव बाबा की उत्पत्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी माह में राम जानकी विवाह (17 दिसम्बर) को मनाया जायेगा। इस माह में मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की जायेगी। इनसे संबंधित मंत्र- स्त्रोत आदि का पाठ करके सभी लोग अलौकिक शांति की प्राप्ति करते हैं।
प्रसिद्ध ज्योतिषी पं. विमल जैन के मुताबिक इस माह [Astro News] में कई प्रमुख पर्व और त्यौहार भी पड़ेंगे। इस माह के प्रमुख पर्व में आस्थावानों ने 30 नवम्बर को संकटी गणेश चतुर्थी का व्रत रखा। अब 5 दिसम्बर को भैरव अष्टमी का पर्व मनाया जायेगा। जिसमें बाबा कालभैरव का भव्य प्रकाटोत्सव मनाया जायेगा।
Astro News: अगहन मास में कौन-कौन पड़ेंगे पर्व एवं व्रत
इसी तरह 8 दिसम्बर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत [Astro News] रखा जायेगा। 10 दिसम्बर को शिव की महिमा में प्रदोष व्रत तथा 11 दिसम्बर को मास शिवरात्रि का व्रत रखा जायेगा। तत्पश्चात 12 दिसम्बर को अगहनी अमावस्या मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार को अमावस्या तिथि पड़ने से उसे भौमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन स्नान-दान व श्राद्ध की विशेष महिमा है।
मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष 13 दिसम्बर से शुरू [Astro News] होगा। इसमें 15 दिसम्बर को रंभा तृतीया पर देवी गौरी की पूजा अर्चना की जायेगी। जबकि 16 दिसम्बर को वरद विनायक गणेश चतुर्थी पड़ेगी। 17 दिसम्बर को राम विवाह लमहोत्सव होगा। 20 दिसम्बर बुधवार को दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जायेगा। 22 दिसम्बर शुक्रवार को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जायेगा। जबकि 23 दिसम्बर शनिवार को वैष्णवजन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करेंगे। 24 दिसम्बर रविवार का सर्वसंकट निवारण के लिए प्रदोष व्रत रखा जायेगा। जबकि 26 दिसम्बर को मार्ग शीर्ष माह करा समापन होगा।
16 दिसम्बर को धनु संक्रांति
पं. विमल जैन के मुताबिक 16 दिसम्बर को धनु संक्रांति पड़ेगी। इस दिन स्नान दान की महिमा है। इसी दिन से खरमास शुरू हो जायेगा। इसके साथ ही मांगलिक कार्याें पर विराम भी लग जायेगा। यह 14 जनवरी 2024 की रात्रि तक रहेगा। भारतीय सनातन परम्परा में हिंदू धर्म के मुताबिक सभी पर्व, मास व तिथि संयोग से बनते हैं। ज्योतिषी गणना के अनुसार सूर्य का भी इसमें विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक द्वादश माह का नामकरण द्वादश नक्षत्रों के आधार पर ही है।