Bhadohi Loksabha: भदोही लोकसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प भरा है। इस सीट पर बाहरियों का दबदबा रहा है। यह अलग बात है कि बीते दो चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने अपना परचम लहराया। भदोही लोकसभा क्षेत्र में प्रयागराज की दो और भदोही की तीन विधानसभा सीट आती है। ब्राह्मण बहुतायत इस सीट पर वहीं उम्मीदवार जीतते हैं, जिनको इनका समर्थन मिलता है। यहीं वजह है कि इंडी गठबंधन के तहत ब्राह्मण चेहरे और टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी को गठबंधन ने प्रत्याशी घोषित किया है।
लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियां हर दांव आजमा रही हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन के सामने भाजपा को हराना एक बड़ी चुनौती है। भाजपा को हराने के लिए हर सियासी समीकरण साधे जा रहे हैं। इसी के तहत में उत्तर प्रदेश में ममता बनर्जी की टीएमसी की एंट्री भी हो चुकी है। उनके दल के नेता ललितेश पति त्रिपाठी को समाजवादी पार्टी ने भदोही लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है।
सपा सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी और टीएमसी के बीच इंडिया गठबंधन के तहत जो सियासी तालमेल हुआ है। उसके तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में समाजवादी पार्टी को दो लोकसभा सीट देने का वादा किया है। माना जा रहा है कि इसी शर्त के आधार पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी को भदोही लोकसभा सीट से पार्टी का प्रत्याशी बनाने का फैसला किया है।
प्रयागराज की दो विधानसभा सीटें हंडिया और प्रतापपुर भदोही संसदीय सीट का हिस्सा हैं। यह क्षेत्र बाहुबली विधायक और सपा नेता विजय मिश्रा की वजह से भी चर्चित है। भदोही अपने कालीन करोबार के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां के आकर्षक कालीनों से ही भदोही को विश्व मानचित्र और हस्त कला के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। भदोही को बुनकरों का घर कहा जाता है।
स्थानीय मुद्दे और विकास के साथ बेरोजगारी यहां की मुख्य समस्या है। चुनाव में जातीय आधार पर वोटिंग होती है। आम चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे प्रमुखता से उठते हैं। भदोही मुख्य रूप से हिन्दू बहुल इलाका है। यहां 86.7 प्रतिशत लोग हिन्दू जबकि 12.92 प्रतिशत लोग मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते हैं।
Bhadohi Loksabha: कमलापति के परपोते हैं ललितेश
आपको बता दें कि ललितेश पति त्रिपाठी 2012 में मीरजापुर के मड़िहान से विधायक रहे हैं। वह कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं। साल 2021 में ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए थे। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस का साथ मिलता दिख रहा है। यहीं वजह है कि भदोही लोकसभा सीट से टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी को सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है।
ललितेश की सपा मुखिया से मुलाकात के बाद लगाये जा रहे थे कयास
दरअसल बीते दिनों, टीएमसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और इसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर साझा की थी। सपा मुखिया से मुलाकात के बाद ललितेश पति त्रिपाठी ने कहा था कि बीते दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हमारी एक अच्छी मुलाकात हुई है। लेकिन, मैं टीएमसी का सदस्य हूं और रहूंगा।
तब ललितेश ने कहा था कि इंडिया गठबंधन नियमों के अनुसार सपा के सहयोग से चंदौली, मीरजापुर या अन्य उचित सीट पर जहां से चुनावी मैदान में उतारा जाएगा, वहां से चुनाव लड़ूंगा। मेरा किसी को सीट से हटाना उद्देश्य नहीं है। मेरा केवल यही उद्देश्य है कि अपनी तरफ से इंडिया गठबंधन को सहयोग करना चाहता हूं।
भदोही सीट पर बाहरियों का रहा है दबदबा
जहां तक भदोही लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व की बात है तो आजादी के बाद से अब तक हुए चुनावों में बाहरी उम्मीदवारों का ही दबदबा रहा है। लोकसभा के चार चुनाव और दो उप चुनावों में ही जिले के सांसद सदन में पहुंच सके हैं, जबकि 10 बार बाहरी उम्मीदवारों ने परचम लहराया। मखमली कालीनों के लिए विश्व प्रसिद्ध भदोही जिले का गठन वैसे तो 1994 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने किया, लेकिन 1952 से लेकर 2008 तक यह सीट मीरजापुर-भदोही संसदीय सीट के नाम से जानी जाती रही।
Highlights
2009 में नए परिसीमन के बाद भदोही संसदीय सीट अस्तित्व में आई। करीब छह दशक के इतिहास में 10 से अधिक बार सदन में बाहरी उम्मीदवार ही पहुंचे। 1952 से लेकर अब तक सर्वाधिक कांग्रेस के प्रत्याशी सदन में पहुंचे।
1952 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के बाहरी उम्मीदवार जान ए विल्सन, 1962 से 67 तक जिले के श्यामधर मिश्र चुने गए। इसी तरह 67 से 72 तक जिले के वंश नारायण सिंह जनसंघ के बैनर तले चुने गए। 1972 से 77 तक कांग्रेस से बाहरी उम्मीदवार अजीज इमाम, 1977 से 80 तक लोकदल के फकीर अली अंसारी और 1980 से 84 तक अजीज इमाम ही चुने गए। 1984 से 89 तक मीरजापुर के उमाकांत मिश्र और 1989 से 91 तक जिले के यूसुफ बेग ने सदन में जनता की आवाज पहुंचाई। 1991 से 96 तक भाजपा के बाहरी उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त और 1998 से 99 में जीत दर्ज की।
इसी तरह 1996 से 98 और 1999 से 2001 तक सपा से बाहरी प्रत्याशी फूलन देवी सदन में पहुंचीं। 2002 से 2004 तक जिले के रामरति बिंद तो उपचुनाव 2007 से 2008 तक रमेश दूबे विजयी रहे। 2004 से 2007 तक बाहरी नरेंद्र कुशवाहा बसपा से चुने गए। 2009 से 14 तक जिले के बसपा से गोरखनाथ पांडेय सांसद थे जबकि 2014 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त और 2019 में भाजपा के रमेश चंद बिंद सांसद चुने गये थे।