वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने कई गंभीर मुद्दों पर प्रशासन को घेरते हुए मांगों को लेकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान छात्रों और प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की हुई। प्राक्टोरियल टीम ने प्रदर्शनकारियों को केंद्रीय कार्यालय के गेट पर रोकने की कोशिश की, लेकिन छात्र वहीं धरने पर बैठ गए और विरोध जारी रखा।
BHU छात्रों के प्रदर्शन के प्रमुख कारण
प्रदर्शनकारी छात्रों का मुख्य आरोप था कि विश्वविद्यालय में प्रशासनिक लापरवाही, IOE (इंस्टीट्यूट ऑफ एंसेलेंस) फंड का दुरुपयोग, और प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताएं चरम पर हैं। इसके अलावा, छात्रों का दावा था कि प्रशासन शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान नहीं दे रहा है और छात्रों को अनुचित रूप से आपराधिक मामलों में फंसाकर उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है।
ABVP के छात्र नेता प्रशांत राय ने कहा, “हम विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर कुलपति को ज्ञापन सौंपने आए थे, लेकिन हमें मुख्य गेट पर ही रोक दिया गया। इस दौरान हमारे कुछ साथियों को चोटें भी आईं, और कुछ के कपड़े फाड़ दिए गए।” राय ने आरोप लगाया कि जब भी छात्र अपनी समस्याओं को उठाने की कोशिश करते हैं, प्रशासन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा देता है ताकि उन्हें दबाया जा सके।
छात्रों की मुख्य मांगें
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि परिसर में निजी बसों का संचालन छात्रों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है, जबकि पर्यावरण के हित में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन जरूरी है। इसके अलावा, छात्रों ने शिकायत की कि हॉस्टल में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रहीं, अस्पताल में OPD समय का दायरा सीमित है, और सार्वजनिक शौचालयों की कमी से छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
छात्रों ने 19 प्रमुख मांगें रखीं, जिनमें प्रमुख रूप से OPD सेवाओं का समय बढ़ाना, कक्षाओं के बीच भोजन के लिए समय निर्धारित करना, हॉस्टल के साइकिल स्टैंड को पुनः चालू करना, शौचालयों की संख्या बढ़ाना, IOE फंड के दुरुपयोग की जांच करवाना, और निजी बसों के बजाय विश्वविद्यालय की अपनी बसों का संचालन शामिल है।
कैंपस में पुलिस हस्तक्षेप पर नाराजगी
प्रशांत राय ने कहा कि जब छात्र प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो उन पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। उन्होंने मांग की कि प्रशासन तुरंत छात्रों पर लगे सभी फर्जी मुकदमों को वापस ले और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। राय ने यह भी बताया कि संकायों में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात संतुलित नहीं है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है।
छात्रों ने यह भी जोर दिया कि प्रशासनिक पदों पर नियुक्त शिक्षकों को एक से अधिक पदों की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए ताकि वे अपने कर्तव्यों का उचित तरीके से निर्वहन कर सकें। इसके अलावा, छात्रों ने लंबे समय से बंद सांस्कृतिक कार्यक्रमों, जैसे “स्पंदन,” को फिर से शुरू करने की मांग की।
शोध में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर नाराजगी
छात्रों ने कहा कि शोध में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर अधिसूचना में देरी हो रही है, जिससे उनकी शैक्षणिक प्रगति बाधित हो रही है। छात्रों ने मांग की कि इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि वे अपनी पढ़ाई समय पर पूरी कर सकें।
BHU में छात्रों का विरोध प्रदर्शन प्रशासन को चेतावनी देने के रूप में देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय में व्याप्त 19 प्रमुख समस्याओं पर जल्द से जल्द समाधान की मांग की है। यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो छात्रों ने आने वाले दिनों में और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।