वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कुलाधिपति और भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र जस्टिस (रिटायर्ड) गिरिधर मालवीय का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और उन्होंने प्रयागराज में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से विश्वविद्यालय और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है। BHU के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए प्रयागराज रवाना हो गए हैं।
BHU: प्रेरक व्यक्तित्व और अद्वितीय योगदान
गिरिधर मालवीय का नाम न्यायपालिका, शिक्षा, और सामाजिक सुधारों में अग्रणी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने 14 मार्च 1988 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला और न्यायिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान दिया। सेवानिवृत्ति के बाद, नवंबर 2018 में उन्हें सर्वसम्मति से BHU का कुलाधिपति चुना गया।
वे गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के प्रति बेहद समर्पित थे। गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए।

प्रधानमंत्री मोदी के नामांकन के प्रस्तावक
2014 के लोकसभा चुनाव में गिरिधर मालवीय ने वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का प्रस्ताव रखा था। गंगा महासभा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने गंगा सफाई अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
BHU दीक्षांत समारोह में आखिरी बार शामिल
गिरिधर मालवीय ने 2023 में BHU के दीक्षांत समारोह में अंतिम बार सार्वजनिक रूप से शिरकत की थी। उनकी प्रतिबद्धता शिक्षा, न्यायपालिका और सामाजिक सुधारों के प्रति सराहनीय रही।
Highlights
शोक और श्रद्धांजलि
उनके निधन पर BHU और देशभर के लोग गहरे शोक में हैं। गिरिधर मालवीय का जाना एक युग के अंत जैसा है। उनका जीवन आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत था। उनका योगदान भारतीय समाज, न्यायपालिका, और शिक्षा क्षेत्र के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
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