महामना की बगिया बीएचयू आंदोलन का गढ़ बनती जा रही है। पिछले कुछ दिनों का रिकॉर्ड देखते हुए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यहां छात्र और मैनेजमेंट की एक नहीं बनती। ऐसा ही कुछ गुरुवार को भी हुआ। जब हिंदी विभाग के सामने धरनारत छात्रों को सुरक्षाकर्मी उठाकर चीफ प्रॉक्टर के ऑफिस ले गए। जिसका छात्रों ने जमकर विरोध किया और सुरक्षाकर्मियों से धक्कामुक्की भी हुई। छात्रों ने सुरक्षाकर्मियों पर बर्बरता का आरोप भी लगाया। छात्रों ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। वे इस बर्बरता के खिलाफ न्यायालय भी जायेंगे।
ये है मैटर
दरअसल, पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम में धांधली का आरोप लगाते हुए कुछ छात्र अगस्त माह में धरना पर बैठे थे। इस दौरान एक छात्र की हालत बिगड़ गई। इस पर कुलपति की ओर से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की गई। कमेटी की ओर से चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं सौंपी गई। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इससे छात्रों में आक्रोश व्याप्त है। छात्र नोटिफिकेशन वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर धरनारत हैं। गुरुवार को सुरक्षाकर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और हिंदी विभाग के सामने धरना दे छात्रों को उठाकर प्राक्टर आफिस ले गई। छात्रों ने इसका जमकर विरोध किया। इस दौरान धक्कामुक्की भी हुई।
एक छात्र ने कहा कि हम प्रवेश परीक्षा में धांधली के खिलाफ धरनारत हैं। कुलपति की ओर से गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी चार माह बीत जाने के बाद भी आज तक रिपोर्ट नहीं दे पाई है। हिंदी विभाग के सामने धरनारत छात्रों को घसीटकर सुरक्षाकर्मी ले आए हैं। इसमें हमारे एक साथी का पैर फ्रैक्चर हो गया। बीएचयू प्रशासन का रवैया दमनकारी है। छात्रों की बात न तो वीसी सुन रहे और न ही परीक्षा नियंत्रक के यहां सुनवाई हो रही है। अपने हक के लिए अब न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएंगे।