वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन पर भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव और सत्ता के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों में वित्तीय अनियमितताएं, मरीजों का शोषण, पर्यावरण विनाश, और कर्मचारियों का उत्पीड़न शामिल हैं।
आईओई अनुदान का दुरुपयोग
आरोप है कि प्रो. जैन ने “इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस” (आईओई) योजना के तहत मिले ₹1,000 करोड़ के धनराशि का दुरुपयोग किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की धरोहर इमारतों को तोड़ने और पुनर्निर्माण के नाम पर व्यक्तिगत लाभ के लिए इस धन का इस्तेमाल किया। साथ ही, अपने करीबी सहयोगियों को नियमों का उल्लंघन कर नियुक्ति देकर मनमाना वेतन प्रदान किया।
चिकित्सा उपकरणों और योजनाओं में गड़बड़ी
कार्डियोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. धर्मेंद्र जैन और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर ₹2.56 करोड़ की चिकित्सा उपकरणों की खरीद में अनियमितताओं का आरोप है। आयुष्मान भारत और काया कल्प योजना के तहत भी मरीजों से अनधिकृत शुल्क वसूला गया।
जातीय भेदभाव और अनियमित नियुक्तियां
कुलपति पर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव का आरोप है। कहा जा रहा है कि उन्होंने योग्य उम्मीदवारों को अस्वीकार कर अपने पसंदीदा लोगों की नियुक्ति की।
पर्यावरण और विरासत का विनाश
कुलपति के कार्यकाल में बीएचयू परिसर में सदियों पुराने पेड़ों को नष्ट कर दिया गया। यह मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) तक पहुंचा, जिसने जांच के आदेश दिए।
BHU: मरीजों का शोषण और लापरवाही
कई मामलों में मरीजों को जानबूझकर बेड नहीं दिए गए, जिससे सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई। आरोप है कि कार्डियोलॉजी विभाग में जानबूझकर अनावश्यक सर्जरी और स्टेंट लगाए गए।
भ्रष्टाचार उजागर करने वालों पर उत्पीड़न
कुलपति पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रोफेसरों को पद से हटाकर उत्पीड़ित किया। प्रो. ओम शंकर ने प्रशासन से न्याय की मांग की है।
Highlights
प्रो. ओम शंकर ने की कार्रवाई की मांग
प्रोफेसर ओम शंकर ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने प्रो. सुधीर कुमार जैन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और उन्हें उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है।