Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझान चौंकाने वाले हैं। एनडीए गठबंधन 190 से ज्यादा सीटों पर मजबूत बढ़त बनाए हुए है, जो बहुमत के 122 के आंकड़े को पार कर एकतरफा जीत की ओर इशारा कर रहा है। वहीं, आरजेडी की अगुवाई वाला महागठबंधन मुश्किल से 30-35 सीटों के आसपास सिमटता दिख रहा है। ये नतीजे तेजस्वी यादव की व्यक्तिगत लोकप्रियता और उनके भव्य नौकरी वादों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आखिर युवाओं का साथ मिलने के बावजूद आरजेडी क्यों पीछे छूट गई? और महिलाओं की भारी भागीदारी ने तेजस्वी की रणनीति को कैसे बेअसर कर दिया? आइए गहराई से समझते हैं।
‘हर घर नौकरी’ का सपना अधूरा रह गया
तेजस्वी यादव ने पूरे चुनावी अभियान को बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्रित किया। उन्होंने हर परिवार को सरकारी नौकरी देने का आकर्षक वादा किया, यहां तक कि इसके लिए कानून तक बनाने की बात कही। युवाओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया पर जोरदार मुहिम चलाई और ‘युवा संकल्प यात्रा’ निकाली। तेजस्वी का दावा था कि बिहार के नौजवान नीतीश कुमार की 20 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने को बेताब हैं। लेकिन (Bihar election 2025)रुझान बता रहे हैं कि ये दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। युवाओं का उत्साह तो दिखा, मगर वो निर्णायक साबित नहीं हुआ।
समान वोट शेयर, सीटों में भारी गिरावट
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि आरजेडी को पिछले चुनाव जितना ही वोट प्रतिशत मिल रहा है, फिर भी सीटें आधी से कम हो गईं। 2020 में 23 फीसदी वोटों के दम पर पार्टी ने 75 सीटें हासिल की थीं। इस बार (Bihar election 2025) भी वोट शेयर करीब-करीब उतना ही है, लेकिन जीत की संख्या 30-35 के आसपास सिमटती नजर आ रही है। मतलब, वोट तो बंटे, मगर सीटों में तब्दील नहीं हो पाए। ये वोटों के बिखराव और गठबंधन की कमजोर कड़ी को उजागर करता है। आरजेडी के कोर वोटर युवा तो साथ रहे, लेकिन वो बहुमत बनाने में नाकाफी साबित हुए।
Bihar election 2025 महिलाओं की बाढ़ ने बदल दिया खेल
आरजेडी की हार की असली वजह महिलाओं का रुझान है। वोट शेयर से साफ है कि युवाओं ने तेजस्वी को समर्थन दिया, मगर महिलाओं ने एनडीए को अभूतपूर्व बढ़त दिलाई। इस बार कुल मतदान 67 फीसदी रहा, जिसमें महिलाओं की भागीदारी 71.6 फीसदी और पुरुषों की सिर्फ 62.8 फीसदी। ये करीब 9 फीसदी का अंतर महिलाओं के स्वतंत्र फैसले को दर्शाता है। परिवार के प्रभाव से परे, उन्होंने सुरक्षा, स्वरोजगार और ‘जीविका दीदी’ जैसी योजनाओं पर भरोसा जताया। एनडीए की महिला-केंद्रित नीतियों ने उनका दिल जीत लिया, जिसने तेजस्वी के 23 फीसदी वोटों को बौना बना दिया।
संक्षेप में, तेजस्वी की युवा-आधारित रणनीति महिलाओं की लहर में डूब गई। बिहार की जनता ने स्थिरता और रोजगार की ठोस योजनाओं को तरजीह दी, न कि बड़े-बड़े वादों को। ये चुनाव (Bihar election 2025) साबित करता है कि वोटों की गुणवत्ता मात्रा से ज्यादा मायने रखती है।

