Chandauli Loksabha: धान के कटोरा के नाम से प्रसिद्ध चंदौली के लिए कहा जाता है कि यहां का क्लेवर भी वाराणसी जैसा ही है। इस बार जहां वाराणसी लोकसभा सीट से सबसे कम प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। वहीं चंदौली में भी इस बार केवल 10 प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में उतरे हैं।
वैसे इस सीट से कुल 27 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन जांच में 17 के नामांकन पत्रों को ख़ारिज कर दिया। अब केवल 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ० महेंद्र नाथ पांडेय, इंडी गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह, व बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्येंद्र कुमार के अलावा 7 अन्य उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे हैं।
अन्य उम्मीदवारों में सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी के उम्मीदवार अरविंद कुमार पटेल, मौलिक अधिकार पार्टी के उम्मीदवार राजेश विश्वकर्मा, समझदार पार्टी के उम्मीदवार राम गोविंद, युग तुलसी पार्टी के उम्मीदवार शेर सिंह, भागीदार पार्टी के उम्मीदवार सोमनाथ, जय हिंद नेशनल पार्टी के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार संतोष कुमार का पर्चा वैध पाया गया है। शेष सभी नामांकन पत्र रद्द कर दिए गए हैं।
Chandauli Loksabha सीट पर एक दशक से है भाजपा का कब्ज़ा
बात अगर चंदौली की करें तो यहां पिछले एक दशक से भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा है। 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ० महेंद्र नाथ पांडेय ने सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार को हराया था। वहीँ इस बार भाजपा के संख सपा-कांग्रेस और इंडी गठबंधन के घटक दलों से सीधा मुकाबला होगा। वहीँ यूपी में लम्बे समय से अपना अस्तित्व ढूंढ रही बसपा भी इस बार पूरे जोश से चुनावी मैदान में उतर रही है।
बसपा का DM समीकरण पर फोकस
राजनीतिक समीकरणों पर गौर किया जाय, तो यूपी में बसपा पूरी तरह से DM समीकरण पर फोकस कर रही है। वहीँ इंडी गठबंधन ने इस बार भाजपा प्रत्याशी को चुनौती देने की रणनीति बनाई है। इसी बीच इस चुनाव में एक दिलचस्प बात यह भी निकलकर आ रही है कि एक दशक पर सत्ता पर काबिज भाजपा जहां जनसंपर्क कर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाकर वोट बैंक साधने में लगे हुए हैं। वहीँ दूसरी ओर, चंदौली में इंडी गठबंधन के किसी बड़े नेता द्वारा किसी भी तरह की जनसभा न करना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

Highlights
1 जून को होगी वोटिंग
राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार चंदौली में मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। एक ओर जहां भाजपा वाराणसी में किये गये विकास कार्यों, केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के बूते ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा बुलंद करने में लगी है। वहीँ इंडी गठबंधन के नेता चंदौली में अधूरे कार्यों के जरिए मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। खैर, राजनीति का ऊंट किस ओर करवट लेगा? यह तो 4 जून को ही पता चलेगा, लेकिन 4 चरणों के चुनाव के बाद यहां की सियासी हलचल तेज हो गई है। चंदौली लोकसभा सीट पर सातवें व अंतिम चरण के वोटिंग के लिए 1 जून को वोटिंग होनी है।